भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर), वृत्तिक संघों/सामाजिक वैज्ञानिकों के संगठनों को उनके विकास में सहयोग के लिए अनुदान उपलब्ध कराता है।
अनु.जाति/अनु.जनजाति के व्यावसायिक विकास से संबंधित किसी विशेष गतिविधियों अथवा उनसे संबंधित अनुसंधान क्रिया-कलापों पर काम कर रहे वृत्तिक संघों/संगठनों को अनु.जाति/अनु.जनजाति श्रेणी के अंतर्गत इस योजना के लिए सहायता प्रदान किया जाएगा।
2.अनुदान के लिए पात्रता
संघों/संगठनों को मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना चाहिए।
यदि यह एक निजी रूप से वित्तपोषित संगठन है तो इसे सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिए।
इसका अस्तित्व पांच वर्ष से कम का नहीं होना चाहिए।
इसकी राष्ट्रव्यापी सदस्यता 200 से कम नहीं होनी चाहिए।
उन संघों/संगठनों को इस योजना के तहत अनुदान के लिए पात्र नहीं माना जाएगा जो प्रारंभिक तौर पर विस्तार/सामाजिक कल्याण कार्य में लगे हुए हैं।
संघों/संगठनों को अपने सदस्यों की सूची, वार्षिक लेखा-परीक्षित खातों और पिछले तीन वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट इत्यादि भेजना चाहिए।
3.अनुदान की शर्तें
तदर्थ सहायता अनुदान की राशि सामान्यत: 5,00,000/- रु0 प्रति वर्ष से अधिक न हो।
संघों के लिए सदस्यता के साथ अनुदान के तीन स्लैब होंगे 200-500, 501-1000 और 1001 और उससे अधिक की सदस्यता वाले।
1. 200-500 – 2.00 लाख रुपये प्रति वर्ष
2. 501-1000 - 3.00 लाख रुपये प्रति वर्ष
3.1001 और अधिक - 5.00 लाख रुपये प्रति वर्ष
आईसीएसएसआर ख्याति-प्राप्त(राष्ट्रीय महत्व के) वैज्ञानिकों के वृत्तिक संघों/संगठनों को, उनके आगे के विकास के लिए एक बार सहायता अनुदान प्रदान करने पर विचार कर सकता है। उपलब्ध कराए गए अनुदान, आईसीएसएसआर द्वारा पहले से दिए जा रहे तदर्थ सहायता अनुदान के अतिरिक्त होगा।
आईसीएसएसआर वृत्तिक संघों/सामाजिक वैज्ञानिकों के संगठनों को, उनके किसी नये विचार के लिए सहायता अनुदान प्रदान करने पर विचार कर सकता है, जो सामान्य रूप से सामाजिक विज्ञान समुदाय को उनके विकास में सहायता कर सकता है।
ऐसे मामलों में, सहायता अनुदान अर्थात मद संख्या 3.3 और 3.4 तथा दोनों को मिलाकर यह 8,00,000/- रु. से अधिक नहीं होना चाहिए।
संघों/संगठनों को सहायता पहुंचाने के लिए स्वीकृत अनुदान का उपयोग केवल निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है:-
कार्यालय चलाने का खर्च यथा बिजली, किराया, टेलीफोन एवं अन्य संबंधित व्यय का वहन करना।
पुस्तकों/पुस्तकालयों के लिए पत्रिकाएं, डाक, कम्प्यूटर, फर्नीचर, कार्यालय स्टेशनरी इत्यादि की खरीद।
सहायता अनुदान, साल-दर-साल के आधार पर पांच वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, ‘सलाहकार समिति के विशेषज्ञों’ द्वारा पांच वर्ष से आगे के लिए अनुमोदित प्रस्तावों को ‘अनुसंधान समिति’ के समक्ष आगे के विस्तार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
स्वीकृत अनुदान की संपूर्ण प्राप्त राशि के संबंध में लेखा-परीक्षित लेखे का विवरण और उपयोगिता प्रमाण-पत्र की प्राप्ति के उपरांत, वर्ष के अंत में कुल अनुदान के दस प्रतिशत(10%) का भुगतान अंतिम किस्त के रूप में किया जाएगा।
4.अनुदान की प्रक्रिया
अनुदान के लिए प्रत्येक प्रस्ताव का मूल्यांकन, आईसीएसएसआर के प्रकाशन एवं अनुसंधान सर्वेक्षण प्रभाग (पीआरएस) की ‘सलाहकार समिति’ द्वारा की जाएगा। इस समिति के विशेषज्ञों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संगठनों/संघों की शैक्षिक व्यवहार्यता, उद्देश्यों और सामाजिक विज्ञान में उनके योगदान इत्यादि की जांच करें।
सलाहकार समिति की अनुशंसाओं को परिषद के अनुमोदनार्थ सूचित किया जाता है।
5.आवेदन कैसे करें
‘वृत्तिक संघों/सामाजिक वैज्ञानिकों के संगठनों के सहयोग और उनके विकास हेतु वित्तीय अनुदान के लिए सभी आवेदन संलग्न दिशा-निर्देशों के अनुसार, निम्नलिखित अनुलग्नकों के साथ अनुदान-प्राप्ति के लिए निर्धारित आवेदन-पत्र में किया जाना चाहिए :
1.अनुलग्नक-I वृत्तिक संघों/सामाजिक विज्ञान के संगठनों के बारे में सूचना
2.अनुलग्नक-II संघों/संगठनों का पिछले तीन साल का लेखा-परीक्षित लेखा और वार्षिक रिपोर्ट
3.अनुलग्नक-III संघों/संगठनों को मिलने वाले निधियों के स्रोत (विगत तीन वर्ष के लिए)
4.अनुलग्नक-IV अनु.जाति/अनु. जनजाति प्रमाण-पत्र, यदि लागू हो;
सभी आवेदन-पत्र निर्धारित प्रारूप में, उस संस्थान-प्रमुख के हस्ताक्षर व मुहर के साथ, जिन्हें वित्तीय-अनुदान भेजा जाना है, प्रकाशन एवं अनुसंधान सर्वेक्षण प्रभाग (पीआरएस), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, अरुणा आसफ अली मार्ग, जेएनयू इंस्टीट्यूशनल एरिया, नई दिल्ली-110067 को भेजें।
सहायता-अनुदान के लिए, आवेदन पूरे वर्ष के दौरान किए जा सकते हैं।
अनुदान के लिए, अधूरे आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।