डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

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1 परिचय

1.1 डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति उन चयनित भारतीय अध्‍येताओं को प्रदान की जाती है, जो पीएच.डी. के लिए यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों / डीम्ड विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों, आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों तथा ऐसे महाविद्यालयों में पंजीकृत हैं, जिनके पास पीएच.डी. कार्यक्रम के लिये शिक्षा मंत्रालय / यूजीसी द्वारा परिभाषित अपेक्षित बुनियादी ढांचा है ताकि अध्‍येता यथाउचित किसी भी सामाजिक विज्ञान विषय में डाक्टरलअनुसंधान करके उसे पूर्ण कर सके।

1.2 आईसीएसएसआर द्वारा निर्धारित सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन के व्यापक विषय हैं:

1. अर्थशास्त्र/विकास अध्ययन
2. प्रबंधन
3. वाणिज्य
4. समाजशास्त्र
5. सामाजिक कार्य
6. सामाजिक नृविज्ञान
7. सांस्कृतिक अध्ययन
8. संस्कृत अध्ययन
9. सामाजिक-दार्शनिक अध्ययन
10. सामाजिक भाषाविज्ञान
11. लिंग अध्ययन
12. स्वास्थ्य अध्ययन
13. राजनीति विज्ञान
14. अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन
15. लोक प्रशासन
16. प्रवासी अध्ययन
17. राष्ट्रीय सुरक्षा तथा सामरिक अध्ययन
18. शिक्षा
19. सामाजिक मनोविज्ञान
20. कानूनी अध्ययन
21. सामाजिक भूगोल
22. पर्यावरण अध्ययन
23. आधुनिक सामाजिक इतिहास
24. मीडिया अध्ययन
25. पुस्तकालय विज्ञान

नोट: ऊपर बताए गए विषयों के अतिरिक्‍त किसी अन्य विषय से संबंधित व्यक्तियों को भी सहायता प्रदान की जा सकती है, अगर वह उसमें रुचि रखता हो तथा आईसीएसएसआर के मतानुसार सामाजिक विज्ञान या अन्य विज्ञानों के सामाजिक पहलुओं में अनुसंधान करने के लिए आवश्यक क्षमता रखता हो। विषयों की सीमाओं से परे जाने वाली परियोजनाएं भी परिषद की योजना के दायरे में आती हैं।

1.3. डाक्टरल अध्‍येतवृत्ति की श्रेणियाँ

आईसीएसएसआर तीन 'केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति योजनाओं' तथा 'संस्थागत डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति योजना' के अंर्तगत निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति प्रदान करता है। केंद्र-प्रशासित योजनाओं के अंर्तगत, अध्‍येतावृत्ति आईसीएसएसआर द्वारा सीधे संबंधित डाक्टरल अध्‍येता को संबद्ध विश्वविद्यालय या महाविद्यालय द्वारा प्रदान की जाती है।  संस्थागत अध्‍येतावृत्ति योजना के अंतर्गत, डाक्टरल अध्‍येता किसी आईसीएसएसआर प्रायोजित / मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान से संबद्ध रखते हैं जो कि अध्‍येतावृत्ति का प्रबंधन करते हैं। अध्‍येता निम्नलिखित श्रेणियों के अंतर्गत किसी भी अध्‍येतावृत्ति का लाभ उठा सकता है:

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

ब. संस्‍थागत पूर्ण कालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति (भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद अनुसंधान संस्थानों द्वारा प्रशासित)

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

द.  केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

 

2 पात्रता

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

2.1 उम्मीदवार के पास सुनिश्चित पीएच.डी. पंजीकरण होना चाहिए जो कि 1.1 में उल्लिखित किसी भी संस्थान में अनुसंधान डिग्री समिति (आरडीसी) द्वारा अनुमोदित हो। इसमें अनुसंधान प्रवेश परीक्षा (आरईटी) की अनुमति  की आवश्यकताएं सम्मिलित हैं; पीएच.डी. के शीर्षक की पुष्टि की प्रक्रिया की जा चुकी हो।

2.2 आवेदन की अंतिम तिथि पर उम्मीदवार की आयु 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों तथा निर्धारित श्रेणी के दिव्‍यांगजनों के लिए आयु में 5 वर्ष की अतिरिक्‍त होगी।

2.3 उम्मीदवार को स्नातक में न्यूनतम 45% अंक तथा किसी भी सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर या समकक्ष ग्रेड में 55% अंक अवश्‍य होने चाहिए। अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों तथा निर्धारित श्रेणी के दिव्‍यांगजनों को अंकों में पांच प्रतिशत (5%) की अतिरिक्‍त छूट दी जाएगी। विशेष रूप से स्‍नातक तथा परा-स्‍नातक परीक्षा की अंकतालिका जमा करना अनिवार्य है अन्यथा उम्मीदवार को योग्य नहीं माना जाएगा।

2.4 शोध प्रस्ताव के मूल्यांकन में नेट/स्‍लेट को अधिभार दिया जायेगा। लेकिन पात्रता उद्देश्यों के लिए नेट/स्लेट योग्यता अनिवार्य नहीं है। हालांकि, मूल्यांकन में अधिभार सुरक्षित करने के लिए नेट / स्‍लेट प्रमाणपत्र जमा करना अनिवार्य है।

2.5 उम्मीदवार जो पहले ही यूजीसी जूनियर रिसर्च अध्‍येतावृत्ति  (जेआरएफ) / राजीव गांधी नेशनल अध्‍येतावृत्ति  (आरजीएनएफ) / मौलाना आजाद नेशनल अध्‍येतावृत्ति  (एमएएनएफ) / आईसीएसएसआर / आईसीएआर / सीएसआईआर / आईसीपीआर / आईसीएमआर / आईसीएचआर / जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फाउंडेशन फंड अध्‍येतावृत्ति  (जेएनएमएफ) या ऐसी किसी भी प्रमुख डाक्टरलअध्‍येतावृत्ति का लाभ उठा चुके हैं, वो आवेदन करने के पात्र नहीं हैं। यूजीसी नॉन-नेट अध्‍येतावृत्ति पाने वाले उम्मीदवार आवेदन के पात्र हैं।

ब. संस्थागत पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

2.6 केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति  (2.1 से 2.5) की सभी शर्तें इस श्रेणी पर भी लागू होंगी तथा अध्‍येतावृत्ति आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से प्रशासित की जाएगी।

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

2.7 केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति (2.1 से 2.5) की सभी शर्तें लागू होंगी तथा इसके अलावा, उम्मीदवार को ऊपर 1.1 में उल्लिखित किसी भी संस्थान में पीएचडी डिग्री के लिए कम से कम दो साल का शोध कार्य पूरा होना चाहिए।

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

2.8 इस योजना के तहत, ऊपर 1.1 में उल्लिखित किसी भी संस्थान में पंजीकृत पीएचडी अध्‍येता को एकमुश्त अनुदान दिया जाता है, जो अपने शोध कार्य के उन्नत चरण में है। केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति (2.1 से 2.5) की सभी शर्तों को पूरा करने वाला उम्मीदवार क्षेत्रीय दौरा, लेखन सामग्री तथा कंप्यूटर उपभोग्य संबंधित खर्चों के लिए आकस्मिक अनुदान के लिए आवेदन करने के लिए पात्र है।

 

3. आवेदन कैसे करें

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

3.1 आवेदन आईसीएसएसआर वेबसाइट पर प्रकाशित विज्ञापन के माध्यम से आमंत्रित किए जाते हैं तथा विज्ञापन में उल्लिखित समय सीमा से पहले प्राप्त हो जाने चाहिए।

3.2 उम्मीदवारों को ऑनलाइन आवेदन जमा करना होगा जिसमें आवेदन पत्र में दिए गए शोध प्रस्ताव प्रारूप, अर्थात् 'खंड IV: अनुसंधान प्रस्ताव का विवरण' सम्मिलित है। प्रस्ताव दिए गए प्रपत्र में ही प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

विशेष

आवेदन के समय, आवेदकों को केवल अनुलग्नक अ तथा ब में आवेदन पत्र के अंत में निर्दिष्ट निर्धारित दस्तावेजों को अपलोड करने की आवश्यकता है (आवेदन के समय अनुलग्नक 'स' अनिवार्य नहीं है)।

सभी आवेदकों को अपने आवेदन तथा अनुलग्नकों की मुद्रित प्रति को विश्वविद्यालय / महाविद्यालय / संस्थान के सक्षम अधिकारियों द्वारा विधिवत अग्रेषित कराना आवश्यक है ताकि वे आईसीएसएसआर द्वारा मांगे जाने के 15 दिनों के भीतर आवश्यक मुद्रित प्रति जमा कर सकें। यह आवेदकों की सुविधा के लिए किया जा रहा है ताकि उन्हें मुद्रित प्रति तैयार करने के लिए अधिक समय मिल सके।

यदि आईसीएसएसआर द्वारा मांगे जाने के 15 दिनों के भीतर आवेदन की मुद्रित प्रति प्राप्त नहीं होती है, तो आवेदक की उम्मीदवारी को वापस लिया / रद्द कर दिया जाएगा।

3.3 शोध प्रस्ताव अंग्रेजी या हिंदी या संस्कृत में होना चाहिए (संस्कृत अध्ययन में प्रस्तावों के लिए हिंदी तथा संस्कृत में फॉर्म भरने के लिए यूनिकोड 8 (यूटीएफ -8) का प्रयोग करें)

3.4 एक आवेदक किसी विशेष डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति योजना के अंतर्गत केवल एक बार आवेदन कर सकता है। हालांकि, वह दूसरी योजना के लिए अलग से आवेदन कर सकता है।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

3.5 संस्थागत डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाले आवेदकों को संबंधित आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थान में निर्धारित समय सीमा के भीतर संलग्नकों के साथ निर्धारित प्रारूप में आवेदन जमा करना होगा।

3.6 आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों को आईसीएसएसआर मुख्‍यालय द्वारा प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। संस्थानों को अपने चयनित उम्मीदवारों के आवेदनों को आईसीएसएसआर विशेषज्ञ समिति (समितियों) द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर मूल्यांकन के लिए आईसीएसएसआर मुख्‍यालय भेजना होगा।

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

3.7 इनके लिए आवेदन प्रक्रिया भी खंड 3.1 से 3.4. की शर्तों के अनुसार समान होगी।

 

4. चयन की प्रक्रिया

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

4.1 प्रारंभिक जांच समिति द्वारा आवेदनों की जांच की जाती है तथा योग्‍य आवेदनों को छांटा जाता है।

4.2 विशेषज्ञ समिति (समितियाँ) लघु-सूचीबद्ध किये गये प्रस्तावों पर विषय विशेषज्ञ समूह, उम्मीदवार की शैक्षणिक पृष्ठभूमि तथा अनुसंधान प्रस्ताव के उद्देश्यपूर्ण परिभाषित मापदंडों पर जांच के पश्‍चात श्रेणी तथा अंक के माध्‍यम से अपना मूल्यांकन देती हैं। अध्‍येतावृत्ति प्रदान करने के लिए विशेषज्ञ समिति (समितियों) के मूल्यांकन के आधार पर विषयवार योग्यता सूची तैयार की जाती है।

4.3 यदि आईसीएसएसआर को आवश्यक लगे, तो वह किसी लघु-सूचीबद्ध आवेदक को आईसीएसएसआर की विशेषज्ञ समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण के लिए आमंत्रित कर सकता है।

4.4 विशेषज्ञ समिति (समितियों) के प्रस्‍ताव को सहमति/अनुमोदन के लिए आईसीएसएसआर की अपेक्षित समिति (समितियों) के समक्ष रखा जाता है।

4.5 केंद्र-प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के चयनित उम्मीदवारों की विषय-वार योग्यता सूची आईसीएसएसआर वेबसाइट पर सामान्य रूप से चार से छः महीने के भीतर रखी जाती है।

4.6 केवल चयनित उम्मीदवारों तथा उनके संबद्ध विश्वविद्यालयों को चयन पत्र के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से सूचित किया जाता है।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

4.7 आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों को आईसीएसएसआर मुख्‍यालय द्वारा प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के नियमों का पालन करना आवश्यक है। संस्थानों को निर्दिष्ट समय सीमा के भीतर, आईसीएसएसआर विशेषज्ञ समिति (समितियों) द्वारा मूल्यांकन के लिए आईसीएसएसआर को अपने लघु-सूचीबद्ध उम्मीदवारों के आवेदन भेजना आवश्यक है।

4.8 संस्थान चयनित उम्मीदवारों को उनके चयन पत्र के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से सूचित करेगा।

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

4.9 इन अध्येतावृत्तियों को प्रदान करने की प्रक्रिया खंड 4.1 से 4.6 तक की शर्तों के अनुसार समान होगी।

 

5. अवधि तथा राशि

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

5.1 अध्‍येतावृत्ति की अवधि केवल दो वर्ष अथवा विश्वविद्यालय में पीएचडी जमा करने की तिथि तक, जो भी पहले हो, तक है।

5.2 अध्‍येतावृत्ति का मूल्य रू. 20,000/- प्रति माह है तथा आकस्मिक अनुदान रु. 20,000/- प्रति वर्ष है।

5.3 डाक्टरल अध्‍येता अध्‍येतावृत्ति कार्यकाल की अवधि के दौरान संबद्ध विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक वास्तविक पीएच.डी छात्र होना चाहिए।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

5.4 अध्‍येतावृत्ति की अवधि तथा मूल्य वही होगा जो केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के अंर्तगत उल्लिखित है। (5.1 से 5.3)

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

5.5 अल्‍प कालिक डॉक्टरल अध्‍येतावृत्ति की अवधि केवल छः महीने या विश्वविद्यालय में पीएचडी जमा करने की तिथि, जो भी पहले हो, तक है।

5.6 अध्‍येतावृत्ति की छः महीने की अवधि के लिए अध्‍येतावृत्ति का मूल्य रू. 20,000/- प्रति माह तथा रू. 10,000/- का आकस्मिक अनुदान है।

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

5.7 यह योजना पीएचडी के आकस्मिक खर्चों को पूरा करने के लिए रू. 62,500/- तक का एक समेकित अनुदान प्रदान करती है, जो कि अध्‍येतावृत्ति ग्रहण करने करने की तिथि से विश्वविद्यालय में शोधप्रबंध जमा करने की तिथि के तक दी जाती है।

 

6. अध्‍येतावृत्ति का प्रारंभ तथा राशि का वितरण

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

6.1 आवेदक को स्‍वीकृति पत्र की तिथि के दो सप्ताह के भीतर अध्‍येतावृत्ति को ग्रहण कर निर्धारित दस्‍तावेज जमा करने की वचनबद्धता सहित संबद्ध प्रशासनिक संस्थान के माध्यम से आईसीएसएसआर में जमा करना आवश्‍यक है। असाधारण परिस्थितियों में अध्‍येतावृत्ति ग्रहण की तिथि अधिकतम छः महीने की अवधि तक बढ़ायी जा सकती है यदि आईसीएसएसआर से पूर्व अनुमोदन लिया गया हो। यदि आवेदक अध्‍येतावृत्ति में सम्मिलित होने / जारी रखने का विचार नहीं रखता है, तो उसे तुरंत आईसीएसएसआर को सूचित करना आवश्‍यक है।

6.2 अध्येतावृत्ति की स्वीकृति प्रारंभ में एक वर्ष की अवधि के लिए दी जाएगी, जो अध्येतावृत्ति में सम्मिलित होने की तिथि से प्रभावी होगी। बाद के वर्ष के लिए अध्‍येतावृत्ति का नवीनीकरण संतोषजनक वार्षिक प्रगति रिपोर्ट तथा प्रथम वर्ष के लिए जारी संपूर्ण अध्‍येतावृत्ति अनुदान के व्यय के विवरण की प्राप्ति (उसी वर्ष के भीतर) होने पर ही किया जायेगा।

6.3 प्रथम वर्ष की अध्‍येतावृत्ति  तथा आकस्मिक अनुदान को दो समान किश्तों में जारी किया जाएगा। पहली किश्‍त स्‍वीकृति पत्र में निर्धारित दस्तावेजों के साथ अनुदान सहायता-बिल (जीआईबी) तथा उनसे संबद्ध/प्रशासनिक संस्थान के पीएफएमएस खाते के पंजीकरण मैंडेट फॉर्म प्राप्त करने के बाद जारी की जाएगी, जिन्होंने अब तक अपने खातों को आईसीएसएसआर अनुदान के लिए पीएफएमएस से नहीं जोडा है। व्यय विवरण के साथ निर्धारित प्रारूप में संतोषजनक छः-मासिक प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद दूसरी किश्‍त जारी की जाएगी।

6.4 द्वितीय वर्ष का अध्‍येतावृत्ति  अनुदान तीन किश्तों में जारी किया जाएगा:

6.4.1 प्रथम वर्ष की संतोषजनक वार्षिक प्रगति रिपोर्ट तथा व्यय विवरणी प्राप्त होने पर प्रथम किश्त जारी की जाएगी।

6.4.2 द्वितीय वर्ष की प्रथम छः माह की संतोषजनक प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में व्यय विवरण के साथ प्राप्त होने पर दूसरी किश्‍त जारी की जाएगी।

6.4.3 तीसरी तथा अंतिम किश्‍त पीएचडी शोधप्रबंध की एक मुद्रित प्रति, (जैसी कि विश्वविद्यालय में जमा की गई है),  उसका सारांश (3000 से 4000 शब्दों में) तथा लेखापरीक्षित विवरण तथा स्वीकार्य अनुदान के उपयोगिता प्रमाण पत्र (जीएफआर 12ए फॉर्म में) मिलने और स्‍वीकृत होने पर जारी की जाएगी।

6.5 यदि सीएजी/एजी द्वारा संस्था के खातों की लेखापरीक्षा की जाती है, तो लेखा विवरण तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र पर वित्त अधिकारी/रजिस्ट्रार/प्राचार्य/निदेशक द्वारा हस्ताक्षर किए जाने चाहिए। अन्यथा, उन्हें चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ संबद्ध संस्था के सक्षम प्राधिकारी, दोनों द्वारा हस्‍ताक्षर कराने की आवश्यकता है।

6.6 प्रत्येक चरण में अपेक्षित दस्तावेज निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रस्तुत किए जाने चाहिए।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

6.7 केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के तहत उल्लिखित के समान। (6.1 से 6.6)

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

6.8 अल्पकालिक अध्येतावृत्ति तथा आकस्मिकता अनुदान दो किस्तों में जारी किए जाते हैं। 70% तक की पहली किश्त अनुदान सहायता बिल (जीआईबी) तथा संबंधित संबद्धता/प्रशासनिक संस्था के पीएफएमएस खाते के पंजीकरण मैंडेट प्रपत्र के साथ स्‍वीकृति पत्र में निर्धारित दस्तावेजों की प्राप्ति पर जारी की जाती है। स्वीकार्य अनुदान की दूसरी तथा अंतिम किस्त स्‍वीकार्य राशि के उपयोयिता प्रमाण पत्र के साथ खातों का विवरण (जीएफआर -12 ए प्रपत्र में) जो संबद्ध संस्था के सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित हो तथा पीएचडी शोधप्रबंध की एक मुद्रित प्रति, (जैसी कि विश्वविद्यालय को जमा की गयी है), तथा 3000 से 4000 शब्दों में इसका सारांश प्राप्त होने के बाद जारी की जाएगी।

6.9 यदि संस्थान के खातों की सीएजी/एजी द्वारा लेखा परीक्षा की जाती है तो लेखा विवरण तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र पर वित्त अधिकारी/रजिस्ट्रार/निदेशक द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे। अन्यथा, उन्हें एक चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ संबद्ध संस्था के सक्षम प्राधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित कराने की आवश्यकता है।

 

7. अध्‍येतावृत्ति  का अनुवीक्षण

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

7.1 अध्येतावृत्ति की नियमित निगरानी निर्धारित प्रारूप में अध्‍येता द्वारा प्रस्‍तुत एवम पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत अग्रेषित छः मासिक एवं वार्षिक प्रगति रिपोर्ट के आधार पर की जाती है। इस रिपोर्ट को यथाउचित संलग्‍न प्रपत्र में देना होगा।

7.2. यदि अनुसंधान की प्रगति रिपोर्ट असंतोषजनक पाई जाती है या किसी आईसीएसएसआर नियमों का उल्लंघन किया जाता है या आईसीएसएसआर की अनुमति के बिना शोध विषय को बदल दिया जाता है, तो अध्‍येतावृत्ति को रोका / समाप्त किया जा सकता है।

7.3 आईसीएसएसआर शोध कार्य की वार्षिक प्रस्तुति/मध्यावधि मूल्यांकन के लिए कह सकता है।

7.4 छः महीने से अधिक की देरी से प्रगति रिपोर्ट प्राप्‍त होने पर, अध्‍येता को उस देरी का औचित्य देना होगा जिस पर आईसीएसएसआर द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अध्‍येता को पीएच.डी. की तिथि निर्दिष्ट करते हुए एक आईसीएसएसआर को एक वचनबद्धता प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है।

7.5 अध्‍येतावृत्ति के दौरान, आवेदक को किए गए शोध के विषय पर कम से कम दो शोध पत्र प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में, हो सके तो स्‍कोपस / यूजीसी केयर पत्रिकाओं तथा / या प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा संपादित पुस्तकों में प्रकाशित कराना तथा इसकी एक प्रति आईसीएसएसआर को जमा कराना आवश्यक है।

7.6 शोधार्थियों को अपना शोध पत्र प्रकाशित कराते समय आईसीएसएसआर का उल्‍लेख करना आवश्‍यक है। इस तरह के उल्‍लेख का एक मानक प्रारूप इस प्रकार हो सकता है:

_______ (अध्‍येता का नाम), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति का लाभार्थी है। उनका लेख अधिकतम सीमा तक आईसीएसएसआर द्वारा प्रायोजित उनके डाक्टरल कार्य का परिणाम है। हालांकि, बताए गए तथ्यों, व्यक्त किए गए विचारों तथा निकाले गए निष्कर्षों की जिम्मेदारी पूरी तरह से लेखक की है।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

7.7. जैसा कि केंद्र प्रशासित डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के अंतर्गत उल्लेख किया गया है।

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

7.8. यदि भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है या भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की अनुमति के बिना शोध विषय को बदल दिया जाता है, तो अध्‍येतावृत्ति को बंद / समाप्त किया जा सकता है।

 

8. अध्‍येतावृत्ति का समापन

अ. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति

8.1 यदि कोई अध्‍येता अपनी पूर्ण अवधि से पहले अध्‍येतावृत्ति छोड़ देता है, तो उसे आईसीएसएसआर को अग्रिम रूप से सूचित करना होगा।

8.1.1 अध्‍येता को आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति में सम्मिलित होने की तिथि से छोड़ने/बंद करने की तिथि तक जारी अनुदान को अपने अधीन रखने की अनुमति दी जा सकती है (आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति प्राप्त करने की अवधि न्यूनतम 3 महीने होनी चाहिए) यद्धपि अध्‍येता निम्‍नलिखित दस्‍तावेज यथोचित समय में जमा करे :

(i) उक्त अवधि के लिए पर्यवेक्षक द्वारा विधिवत अग्रेषित एक अद्यतन प्रगति रिपोर्ट।

(ii) 100/- रुपये के गैर-न्यायिक स्टाम्प पेपर पर उचित समय के भीतर पीएचडी शोधप्रबंध जमा करने का वचन (निर्धारित प्रारूप में)।

(iii) स्वीकार्य राशि के लिए खातों तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र (जीएफआर -12 ए फॉर्म में) का विवरण।

(iv) अव्ययित शेष राशि, यदि कोई हो, तो उसकी वापसी आईसीएसएसआर, नई दिल्ली के पक्ष में एक चेक/डीडी भेजकर या पीएफएमएस/आरटीजीएस के माध्‍यम से किया जा सकता है।

8.1.2 विशेष मामलों में, शोध प्रबंध आईसीएसएसआर में जमा करने के पश्‍चात आईसीएसएसआर द्वारा आकस्मिक अनुदान का भुगतान करने पर विचार किया जा सकता है।

8.1.3 अन्यथा, अध्‍येता आईसीएसएसआर द्वारा जारी की गई पूरी राशि वापस करके अध्‍येतावृत्ति छोड़ सकता है।

8.1.4 आईसीएसएसआर को सूचित किए बिना अध्‍येतावृत्ति छोड़ने वाले अध्‍येताओं को अपने अध्‍येतावृत्ति के कार्यकाल के पूरा होने से पहले जारी की गई पूरी राशि को जुर्माना/दंडात्मक ब्याज के साथ आईसीएसएसआर को वापस करना होगा।

8.2 जो अध्‍येता अध्‍येतावृत्ति की अवधि पूरी होने के बाद दो साल के भीतर अपना पीएचडी शोध प्रबंध आईसीएसएसआर मे जमा करने की स्थिति में नहीं होंगें, तो उन्हें जारी की गई अध्‍येतावृत्ति की पूरी राशि वापस करनी होगी। हालांकि, आईसीएसएसआर किसी वित्तीय प्रभाव के बिना  अध्‍येतावृत्ति जमा करने के लिए समय अवधि के विस्तार पर विचार कर सकता है जो कि समय अवधि या उसके विस्तार के संबंध में संबद्ध विश्वविद्यालय के नियमों के अधीन होगा। आईसीएसएसआर की अनुमति के लिए ऐसे नियम/विस्तार की एक प्रति की आवश्यकता होगी।

8.3 यदि किसी विशेष परिस्थिति में, कोई अध्‍येता आईसीएसएसआर द्वारा उचित अनुमोदन के साथ मातृत्व / चिकित्सा / असाधारण परिस्थितियों (छः महीने से अधिक नहीं) के कारण छुट्टी पर रहता/रहती है, तो अध्‍येतावृत्ति का कार्यकाल उस अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाएगा, लेकिन कुल स्वीकृत अध्‍येतावृत्ति 24 महीने से अधिक नहीं होगी।

8.4 पुन:,  विशेष परिस्थितियों में,  कोई अध्‍येता किसी विदेशी अध्‍येतावृत्ति का लाभ उठा सकता है तथा आईसीएसएसआर द्वारा उचित अनुमोदन के पश्‍चात आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति में फिर से सम्मिलित हो सकता है, उक्‍त अवधि के लिये अध्‍येतावृत्ति को स्थगित किया जा सकता है।

8. 5 संबंधित विश्वविद्यालय को शोध प्रबंध जमा करने के बाद, अध्‍येता को जल्‍द से जल्‍द मगर एक वर्ष के अंदर आईसीएसएसआर में निम्‍नांकित दस्‍तावेज जमा करने होंगें:

(i) पीएचडी शोधप्रबंध की एक मुद्रित प्रति, (जैसी कि विश्वविद्यालय को जमा की गयी है) साथ ही शोध प्रबंध का सारांश (3000 से 4000 शब्दों में) तथा प्रकाशित शोध पत्र।

(ii) खंड 6.5 तथा 6.9 के अनुसार स्वीकार्य अनुदान के लिए लेखा तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र (जीएफआर-12ए प्रपत्र में) का लेखापरीक्षित विवरण।

(iii) यदि शोधप्रबंध को संशोधित तथा पुन: प्रस्तुत किया जाता है, तो उसकी एक प्रति आईसीएसएसआर को भी प्रस्तुत की जानी चाहिए।

8.6 अध्‍येतावृत्ति अवधि के पूरा होने या विश्वविद्यालय में शोधप्रबंध जमा करने के दो साल बाद, (जो भी पहले हो) आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति अनुदान या उसके किसी भाग को जारी करने के किसी भी अनुरोध पर पर विचार नहीं करेगा। हालांकि, मामले की योग्यता को देखते हुए आईसीएसएसआर द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

8.7 आईसीएसएसआर साहित्यिक चोरी की पहचान के लिए प्रत्येक रिपोर्ट की जांच करता है तथा इसकी समानता रिपोर्ट भी तैयार की जाती है। आईसीएसएसआर की नीति है कि वह 15 प्रतिशत से अधिक समानता वाली सामग्री को स्वीकार नहीं करता है। अध्‍येताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे समानता सूचकांक प्राप्‍त करने के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट की स्वयं जाँच करें तथा उसे आईसीएसएसआर में प्रस्तुत करते समय उस की एक रिपोर्ट संलग्न करें। अध्‍येता आईसीएसएसआर (नॉस्‍डॉक) से इसके द्वारा उपयोग किए जा रहे सॉफ़्टवेयर के बारे में किसी भी समय पूछताछ कर सकते हैं।

ब. संस्थागत डाक्टरल पूर्णकालिक अध्‍येतावृत्ति

8.8. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के अंतर्गत खंड 8.1 से 8.7 में उल्लिखित सभी शर्तें इस अध्‍येतावृत्ति में भी सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्‍त, संबंधित अनुसंधान संस्थानों को भी अध्‍येताओं का शोध प्रबंध तथा निर्धारित दस्तावेज आईसीएसएसआर को समय पर जमा करना आवश्‍यक है।

स. केंद्र प्रशासित अल्‍प कालिक अध्‍येतावृत्ति

द. केंद्र प्रशासित आकस्मिक अनुदान

8.9. केंद्र प्रशासित पूर्णकालिक डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति के अंतर्गत खंड 8.1 से 8.7 में उल्लिखित सभी शर्तें इस अध्‍येतावृत्ति में भी सम्मिलित हैं।

 

9. संबद्ध संस्था से अपेक्षा

9.1 संबद्ध संस्था के लिए आवश्यक है कि वह अध्‍येता को अपेक्षित अनुसंधान अवसंरचना प्रदान करे तथा उसका उचित लेखा-जोखा रखे।

9.2 संबद्ध संस्था को आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति अनुदान को प्रशासित तथा प्रबंधित करने के लिए आवेदन पत्र में निहित निर्धारित प्रारूप में एक अग्रेषण पत्र देना आवश्यक है।

9.3 संबद्ध संस्था आईसीएसएसआर अनुदान (योजना कोड 0877) के लिए एक समर्पित बैंक खाता खोलेगी / बनाए रखेगी जो बिना किसी देरी के डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति अनुदान जारी करने के लिए पीएफएमएस पोर्टल पर विधिवत पंजीकृत हो।

9.4 संबद्ध संस्था से अपेक्षा की जाती है कि वह आईसीएसएसआर द्वारा जारी अध्‍येतावृत्ति अनुदान को तुरंत अध्‍येता को जारी कर दे।

9.5 संबद्ध संस्था से अपेक्षा की जाती है कि वह पीएचडी शोधप्रबंध तथा खातों का लेखा परीक्षित विवरण तथा स्वीकार्य अनुदान के संबंध में उपयोग प्रमाण पत्र,  (निर्धारित जीएफआर-12ए में) को सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित कर, जिसमें खर्च न किए गए धन की एक वर्ष के अंदर वापसी सम्मिलित है, आईसीएसएसआर को जमा करना सुनिश्चित करें।

9.6 यदि कोई अध्‍येता अध्‍येतावृत्ति कार्यकाल पूरा होने से पहले अपनी अध्‍येतावृत्ति छोड़ देता है / बंद कर देता है, तो संबद्ध संस्थान आईसीएसएसआर को 15 दिनों के भीतर सूचित करेगा तथा तीन महीने के भीतर किसी भी अव्ययित शेष अनुदान की वापसी सहित खातों का निपटान करेगा।

 

10. अन्य शर्तें

10.1. आईसीएसएसआर यूजीसी द्वारा शोध निदेशक की विशेष श्रेणी (प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर/सहायक प्रोफेसर) के लिये डाक्टरल पर्यवेक्षण की उच्चतम संख्‍या सीमा का पालन करेगा।

10.2 डाक्टरल अध्येताओं को संबद्ध विश्वविद्यालय/संस्थान में पूर्णकालिक रूप से रह कर काम करना चाहिए। हालांकि, वे अपने पर्यवेक्षक के स्पष्ट अनुमोदन से क्षेत्रीय कार्य पर जा सकते हैं, लेकिन शेष अवधि के लिए, उन्हें संबंधित विश्वविद्यालय/संस्थान में काम करना जारी रखना चाहिए तथा उनके नियमों का पालन करना चाहिए।

10.3. अध्‍येता अध्‍येतावृत्ति प्रदान करने की अवधि के दौरान किसी अन्य स्रोत से किसी भी नियुक्ति (भुगतान या अन्यथा) को स्वीकार या धारण नहीं करेगा या किसी अन्य स्रोत से कोई परिलब्धियां, वेतन, वजीफा आदि प्राप्त नहीं करेगा। हालाँकि, अध्‍येता सप्ताह में छः घंटे तक का शिक्षण कार्य कर सकता है।

10.4 अध्‍येतावृत्ति का कार्यकाल केवल दो साल के लिए है। आईसीएसएसआर द्वारा असाधारण परिस्थितियों में, बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय प्रभाव के, कोई विस्तार दिया जा सकता है। असाधारण परिस्थितियों को निर्धारित करने का अधिकार आईसीएसएसआर अपने पास सुरक्षित रखता है।

10.5 आकस्मिक अनुदान का उपयोग अनुसंधान कार्य से संबंधित पुस्तकों, स्टेशनरी, कंप्यूटर उपभोग्य लागत तथा क्षेत्र कार्य व्यय के लिए किया जा सकता है।

10.6 आईसीएसएसआर अपने द्वारा वित्त पोषित पीएचडी शोध प्रबंध को प्रकाशित करने का पहला अधिकार सुरक्षित रखता है, यदि आईसीएसएसआर विशेषज्ञ (विशेषज्ञों) द्वारा प्रकाशन के लिए इसकी अनुशंसा की गयी हो।

10.7 आईसीएसएसआर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों तथा निर्धारित श्रेणी के दिव्‍यांग जनों के संबंध में भारत सरकार के नियमों तथा निर्देशों का पालन करता है।

10.8 किसी भी पुरानी आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति / परियोजना / अनुदान के चूककर्ता तब तक विचार के लिए पात्र नहीं होंगे जब तक कि वे संबंधित प्रशासनिक प्रभाग से अनुमति  प्राप्त नहीं कर लेते।

10.9. किसी भी अध्‍येता को एक ही प्रकार की अध्‍येतावृत्ति एक से अधिक बार प्रदान नहीं की जायेगी।

10.10 आईसीएसएसआर से डाक्टरल अध्‍येतावृत्ति स्वीकार करते समय, अध्‍येता को किसी अन्य विश्वविद्यालय/संस्थान से नौकरी या कोई अन्य अध्‍येतावृत्ति स्वीकार नहीं करनी चाहिए। हालांकि, आईसीएसएसआर प्रतिष्ठित विदेशी अध्‍येतावृत्ति प्राप्त करने वाले आवेदकों का प्रोत्‍साहन तथा समर्थन करता है। इसलिए, उन्हें अपवाद स्‍वरूप,  विदेश से लौटने के बाद अपनी अध्‍येतावृत्ति में फिर से सम्मिलित होने की अनुमति दी जाएगी, यदि इसके लिये उन्‍होनें पूर्व अनुमोदन मांगा हो।

10.11 अध्‍येतावृत्ति की अवधि के दौरान, अध्‍येता को यात्रा भत्ता, उपस्थिति, अवकाश/छुट्टी तथा आकस्मिक अनुदान आदि सहित सभी मामलों में संबद्धता / प्रशासनिक संस्था के नियमों द्वारा शासित किया जाएगा।

10.12 चयनित अध्येताओं से भारत में पूर्णकालिक शोध करने की अपेक्षा की जाती है। यदि प्रस्ताव की ज़रूरतों के अनुसार आवश्यक हो तो वे भारत के बाहर डेटा संग्रह कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें आईसीएसएसआर के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग की डेटा संग्रह योजना के तहत विचार के लिए अलग से आवेदन करना होगा। हालांकि, आईसीएसएसआर विदेशों से ऐसे डेटा संग्रह का समर्थन करने के लिए बाध्य नहीं होगा तथा आईसीएसएसआर का निर्णय अंतिम होगा। किसी भी मामले में, अध्ययन का पूरा होना ऐसे डेटा संग्रह समर्थन के परिणामस्वरूप नहीं होना चाहिए।

10.13 अध्‍येता को अपने शोध कार्यकाल में किसी अनुशासनात्मक / कानूनी कार्रवाई / कार्यवाही / वित्तीय दंड का सामना नहीं किया होना चाहिए।

10.14 एक विज्ञापन के प्रत्‍युत्‍तर में प्रस्तुत किए गए आवेदन पर बाद के विज्ञापनों के पश्‍चात स्वयं विचार नहीं किया जाएगा।

10.15 आईसीएसएसआर बिना कोई कारण बताए किसी भी आवेदन को अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। यह किसी भी डाक देरी / हानि के लिए भी जिम्मेदार नहीं है।

10.16 अपूर्ण आवेदन / ऐसे आवेदन, जिसकी मुद्रित प्रति आईसीएसएसआर द्वारा मांगे जाने पर भी उपलब्‍ध नहीं करायी गयी हो, उनको अध्‍येतावृत्ति हेतु विचार नहीं किया जाएगा।

10.17 आईसीएसएसआर सचिवालय द्वारा परिणाम के संबंध में किसी भी प्रश्न का तब तक कोई उत्‍तर नहीं दिया जाएगा, जब तक कि परिणाम की अंतिम घोषणा नहीं हो जाती, तथा उसे आईसीएसएसआर वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं कर दिया जाता।

10.18 दिशानिर्देशों या इस तरह के किसी भी मुद्दे की व्याख्या के लिए अंतिम अधिकार आईसीएसएसआर के पास है।

 

अनुसंधान प्रस्ताव प्रारूप

निम्नलिखित सामग्री / अनुभागों से युक्त अनुसंधान प्रस्ताव का पूरा प्रारूप अर्थात् खंड IV: अनुसंधान प्रस्ताव का विवरण आवेदन पत्र का ही एक हिस्सा है । अलग से कोई शोध प्रस्ताव या उसका कोई खंड प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

कुल मिलाकर, शोध प्रस्ताव लगभग 3,000 शब्दों में होगा जिसमें निम्नलिखित खंड सम्मिलित होने चाहिये:

  1. शोध प्रस्ताव का शीर्षक: शोध प्रस्ताव में एक स्पष्ट, सार्थक तथा पुष्ट विषय होना चाहिए जो अध्ययन के दायरे को दर्शाता हो।
  2. शोध प्रस्ताव का सार संक्षेप में (लगभग 300 शब्दों में) होना चाहिए।
  3. परिचय: प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उस शोध समस्या का उल्लेख होना चाहिए जिसकी जांच उसके सैद्धांतिक और/या प्रासंगिक क्षेत्र में अनुभवजन्य संदर्भ के आलोक में की जानी चाहिए। प्रस्ताव में अध्ययन की प्रासंगिकता तथा प्रत्याशित परिणामों (लगभग 300 शब्दों में) पर एक विवरण सम्मिलित होना चाहिए।
  4. साहित्य की समीक्षा: (राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय): जांच के तहत अध्ययन के विषय से संबंधित कम से कम 20 प्रमुख शोध साहित्य को सम्मिलित करते हुए एक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए तथा उनकी सूची इस खंड (लगभग 400 शब्दों में) में दी जानी चाहिए।
  5. अनुसंधान अंतराल की पहचान: विद्वान को क्षेत्र में अनुसंधान की वर्तमान स्थिति तथा क्षेत्र में शोधकर्ता के स्वयं के कार्य सहित प्रमुख निष्कर्षों को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहिए। वर्तमान अनुभवजन्य निष्कर्षों पर भी चर्चा की जा सकती है। सिंहावलोकन द्वारा स्पष्ट रूप से मौजूदा निष्कर्षों या दृष्टिकोणों तथा इसकी प्रासंगिकता (लगभग 200-300 शब्दों में) में अपर्याप्तता / अंतराल को प्रदर्शित करना चाहिए।
  6. अध्ययन के उद्देश्य: वर्तमान संदर्भ में (लगभग 100-150 शब्दों में) प्रस्तावित अध्ययन का औचित्य प्रदान करते हुए अध्ययन के सामान्य उद्देश्य के साथ-साथ पूरे किए जाने वाले विशिष्ट उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
  7. शोध प्रश्न या परिकल्पना: संकल्पनात्मक ढांचे तथा आयाम की विशिष्टता को देखते हुए, प्रस्तावित शोध के माध्यम से उत्तर दिए जाने वाले विशिष्ट प्रश्नों को स्‍पष्‍ट रूप से तैयार किया जाना चाहिए। व्याख्यात्मक अनुसंधान के मामले में, चर मूल्‍यों से संबंधित निर्देश तथा विशिष्ट परिकल्पना के माध्यम से उनके बीच संबंध की स्थिति को अनुसंधान प्रस्ताव (लगभग 250-300 शब्दों में) का एक हिस्सा होना चाहिए।
  8. अनुसंधान पद्धति: शोधकर्ता को विस्तार से निम्‍न का वर्णन करना चाहिए (अ) उसके अध्ययन का विस्‍तार तथा क्षेत्र; तथा (ब) अनुसंधान करने के पर्याप्त औचित्य के साथ दृष्टिकोण तथा कार्यप्रणाली। कार्यप्रणाली के विवरण में अनुसंधान योजना, एकत्र किए जाने वाले डेटा तथा उपयोग किए जाने वाले अनुभवजन्य तथा विश्लेषणात्मक तरीके सम्मिलित हो सकते हैं। कार्यप्रणाली का विवरण स्पष्ट रूप से अनुसंधान के उद्देश्यों तथा अध्ययन के शोध प्रश्नों/ परिकल्पनाओं (लगभग 300 शब्दों में) से जुड़ा होना चाहिए।
  9. अनुसंधान का नवाचार/अभूतपूर्व पहलू: यहां, अध्ययन में परिकल्पित दृष्टिकोण तथा अवधारणा में नवीनता को स्पष्ट करने पर जोर दिया जाना चाहिए (लगभग 150-200 शब्दों में)।
  10. अध्ययन के प्रस्तावित परिणाम: शोध के दौरान तथा इसके पूरा होने के बाद प्रकाशनों की प्रस्तावित योजना पर एक संक्षिप्त नोट संलग्‍न किया जाना चाहिए। इसमें अध्‍ययन के परिणाम स्‍वरूप होने वाले संभावित प्रकाशनों का विवरण होना चाहिये। इसमें शोध पत्रों/ पत्रिकाओं, विशेष रूप से स्कोपस/ यूजीसी की केयर-सूचीबद्ध पत्रिकाओं, पुस्तकों, मोनोग्राफ, आदि में प्रकाशित हो सकने वाले लेख सम्मिलित हैं (लगभग 150 शब्दों में)।
  11. उत्पन्न होने वाला नया डेटा: मौजूदा डेटा में पाई गई कमियों / अपर्याप्तताओं पर एक नोट तथा प्रस्तावित शोध के लिए उत्पन्न किए जाने वाले नए डेटा का विवरण (लगभग 100 शब्दों में)।
  12. अध्ययन का अपेक्षित योगदान: इस विषय पर सिद्धांत तथा कार्यप्रणाली के साथ-साथ समाज के लिए इसके व्यावहारिक महत्व तथा नीति-निर्माण के लिए इसके निहितार्थ के लिए अनुसंधान कार्य द्वारा किए जाने वाले महत्वपूर्ण योगदान पर एक संक्षिप्त टिप्पणी देने की आवश्यकता है। (लगभग 300 शब्द)।
  13. त्रैमासिक समयसीमा के साथ अध्ययन की अवधि: डाक्टरल कार्य के वर्तमान चरण पर एक नोट, कार्य के पूरा होने की अपेक्षित अवधि। प्रत्येक क्रमिक तिमाही तथा उसके पूरा होने (लगभग 200 शब्दों में) के लिए समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए।