पोस्‍ट डॉक्टरल अध्‍येतावृत्ति

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1 परिचय

1.1 आईसीएसएसआर पोस्ट-डॉक्टरल अध्‍येतावृत्ति का मुख्य उद्देश्य उन युवा भारतीय सामाजिक विज्ञान शोधार्थियों को प्रोत्साहित करना और उन्‍हें शोध कार्य में संलग्‍न बनाए रखना है जिन्होंने अपनी पीएचडी पूरी कर ली है और शिक्षण और अनुसंधान में एक नियमित कैरियर बनाना चाहते हैं। उनके पास विशिष्ट विषयों और मुद्दों पर पूर्णकालिक शोध करने की उच्च क्षमता और इच्‍छाशक्ति होनी चाहिए। इन अध्ययनों से विभिन्न विषयों में सैद्धांतिक और वैचारिक उन्नति में योगदान करने, फील्‍ड वर्क आधारित अनुभवजन्य आंकड़े उत्पन्न करने और नीति निर्माण में योगदान करने की उम्मीद की जाती है।

1.2 सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन के व्यापक विषय हैं:

1. अर्थशास्त्र/विकास अध्ययन

2. प्रबंधन

3. वाणिज्य

4. समाजशास्त्र

5. सामाजिक कार्य

6. सामाजिक मानवशास्त्र

7. सांस्कृतिक अध्ययन

8. संस्कृत अध्ययन

9. सामाजिक-दार्शनिक अध्ययन

10. सामाजिक भाषाविज्ञान

11. लिंगीय अध्ययन

12. स्वास्थ्य अध्ययन

13. राजनीति विज्ञान

14. अंतर्राष्ट्रीय संबंध/भूराजनीति

15. लोक प्रशासन

16. प्रवासी अध्ययन

17. राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक अध्ययन

18. शिक्षा

19. सामाजिक मनोविज्ञान

20. विधीय अध्ययन

21. सामाजिक भूगोल

22. पर्यावरण अध्ययन

23. आधुनिक सामाजिक इतिहास

24. मीडिया अध्ययन

25. पुस्तकालय विज्ञान

26. भाषा अध्ययन

नोट: ऊपर बताए गए विषयों के अतिरिक्‍त किसी अन्य विषय से संबंधित विद्वानों को भी सहायता प्रदान की जा सकती है, अगर वह उसमें रुचि रखता हो और आईसीएसएसआर के मतानुसार सामाजिक विज्ञान या अन्य विज्ञानों के सामाजिक पहलुओं में अनुसंधान करने के लिए आवश्यक क्षमता रखता हो। विषयों की सीमाओं से परे जाने वाली परियोजनाएं भी परिषद की योजनाओं के दायरे में आती हैं।

 

2. पात्रता

2.1 आवेदन की अंतिम तिथि के अनुसार आवेदक की आयु 45 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/निर्धारित श्रेणी के विकलांग उम्मीदवारों के लिए आयु में 5 वर्ष की छूट होगी।

2.2 आवेदक के पास पीएच.डी. डिग्री और आईसीएसएसआर के मतानुसार, आवेदन के समय उत्कृष्ट शोध प्रकाशन होने के अलावा, सामाजिक विज्ञान या अन्य विषयों के सामाजिक पहलुओं में अनुसंधान करने के लिए आवश्यक क्षमता होनी चाहिये।

2.3 अध्‍येता को अपनी पसंद के संस्‍थान से संबद्ध होना चाहिए जिनमें आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थान, शिक्षा मंत्रालय द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, सरकारी अनुसंधान संस्थान/ सार्वजनिक वित्त पोषित विश्वविद्यालय डीम्ड विश्वविद्यालय सहित/ कॉलेज जिसमें अनुमोदित पीएचडी कार्यक्रम हो, शामिल हैं। संबद्ध संस्था के माध्यम से निधि का वितरण किया जाता है।

2.4 चयनित अध्‍येता को एक वरिष्ठ सामाजिक वैज्ञानिक (एसोसिएट प्रोफेसर से नीचे नहीं, जिसके पास पर्याप्त शोध पर्यवेक्षण अनुभव और प्रकाशन हो) के मार्गदर्शन में काम करना होगा। पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त नहीं होना चाहिए तथा संबद्ध संस्थान से संबंधित होना चाहिए। पर्यवेक्षक का चयन आईसीएसएसआर के अनुमोदन के अधीन है।

 

3. आवेदन कैसे करें

3.1 आवेदन आईसीएसएसआर वेबसाइट पर सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से आमंत्रित किए जाते हैं और उल्लेखित समय सीमा से पहले प्राप्त हो जाने चाहिए।

3.2 उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन जमा करेंगे ।सभी आवेदकों से अनुरोध है कि वे ऑनलाइन जमा किए गए आवेदन का प्रिंटआउट ले लें और उसे संलग्नकों के साथ आईसीएसएसआर को आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि से 10 दिनों के भीतर भेज दें। कृपया इन दस्तावेजों को स्पीड पोस्ट के माध्यम से "प्रभारी, आरएफएस डिवीजन, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, अरुणा आसफ अली मार्ग, नई दिल्ली - 110 067" पर भेजें।

यदि आवेदन की मुद्रित प्रति 10 दिनों के अंदर प्राप्त नहीं होती है, तो आवेदक की उम्मीदवारी को रद्द कर दिया जाएगा।

3.3 शोध प्रस्ताव अंग्रेजी या हिंदी होना चाहिए (हिंदी में फॉर्म भरने के लिए यूनिकोड 8 (यूटीएफ -8) का प्रयोग करें) ।

3.4 पोस्ट-डॉक्टरल अध्‍येतावृत्ति योजना के अंर्तगत एक आवेदक केवल एक ही आवेदन जमा कर सकता है। हालांकि, वह किसी अन्य योजना के लिए अलग से आवेदन कर सकता है।

 

4. आवेदन स्‍वीकृति की प्रक्रिया

4.1 आवेदनों की जांच की जाती है ।

4.2 तत्पश्चात विशेषज्ञ समिति (समितियाँ) पात्र आवेदनों में से मेधावी प्रस्तावों को सूचीबद्ध करती हैं।

4.3 सूचीबद्ध आवेदकों को तब एक विशेषज्ञ समिति के समक्ष वार्तालाप/प्रस्तुतिकरण के लिए आमंत्रित किया जा सकता है।

4.4 वार्तालाप के पश्‍चात, विशेषज्ञ समिति/समितियां आईसीएसएसआर द्वारा अध्‍येतावृत्ति हेतु अनुशंसित करती है, जिन्हें सक्षम प्राधिकारी द्वारा अंतिम रूप दिया जाता है और अनुमोदित किया जाता है।

 

5. अवधि और मूल्य

5.1 पोस्ट-डॉक्टरल अध्येतावृत्ति एक पूर्णकालिक शोध कार्य है।

5.2 अध्‍येतावृत्ति की अवधि केवल दो वर्ष है और किसी भी विस्तार पर विचार नहीं किया जाएगा ।

5.3 अध्‍येतावृत्ति की राशि 31,000 रुपये प्रति माह और आकस्मिक अनुदान रुपये 25,000/- प्रति वर्ष है।

 

6. अध्येतावृत्ति का प्रारंभ और समापन

6.1 आवेदक को अध्येतावृत्ति प्राप्ति पत्र की तिथि से एक माह के अंदर संबद्ध संस्थान के माध्यम से सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करके अध्येतावृत्ति को स्‍वीकार करना होगा। असाधारण परिस्थितियों में इसे आईसीएसएसआर द्वारा अनुमोदन के पश्‍चात बढ़ाया जा सकता है

6.2 अध्येतावृत्ति प्रारंभ में एक वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत की जाएगी, जो आवेदक द्वारा अध्येतावृत्ति को स्‍वीकार करने की तिथि से प्रभावी होगी। बाद के वर्ष के लिए अध्‍येतावृत्ति का नवीनीकरण संतोषजनक वार्षिक प्रगति रिपोर्ट और प्रथम वर्ष के लिए जारी संपूर्ण अध्‍येतावृत्ति के लेखा विवरण की प्राप्ति के पश्‍चात ही किया जायेगा।

6.3 प्रथम वर्ष की अध्‍येतावृत्ति और आकस्मिक निधि दो समान किश्तों में प्रदान की जाएगी। पहली किश्त सहायता अनुदान-बिल (जीआईबी) प्राप्त होने के बाद और दूसरी किश्त के विवरण के साथ निर्धारित प्रारूप में संतोषजनक छह मासिक प्रगति रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद जारी की जाएगी।

6.4 द्वितीय वर्ष की अध्‍येतावृत्ति तीन किश्‍तों में प्रदान की जाएगी। छह महीने की अध्‍येतावृत्ति की पहली किश्‍त अनुदान सहायता बिल (जीआईबी) प्राप्त होने पर होने पर जारी की जाएगी। तीन माह की अध्‍येतावृत्ति की दूसरी किश्‍त अगले छह माह की संतोषजनक प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में के अतिरिक्‍त लेखा विवरण के साथ प्राप्त होने पर जारी की जाएगी। आकस्मिक निधि के साथ शेष अध्‍येतावृत्ति की अंतिम किश्‍त अंतिम रिपोर्ट प्राप्त होने और आईसीएसएसआर द्वारा इसकी स्वीकृति और संबद्ध संस्था के सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित GFR-12A प्रारूप में अध्‍येतावृत्ति की संपूर्ण स्वीकृत राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र तथा खातों का विवरण प्राप्‍त होने पर वितरित की जायेगी। हालांकि, असार्वजनिक वित्त पोषित संस्थानों के विषय में, अध्‍येतावृत्ति की अंतिम किश्‍त जीएफआर -12 ए फॉर्म में उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ खातों का लेखा परीक्षित विवरण प्राप्त होने और आईसीएसएसआर द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन पर जारी की जाएगी।

6.5 सार्वजनिक वित्त पोषित संबद्ध संस्था को 7.5% उपरिव्‍यय शुल्‍क केवल जीएफआर-12ए फॉर्म में उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ खातों के लेखा परीक्षित विवरण प्रस्तुत करने और आईसीएसएसआर द्वारा दस्तावेजों के सत्यापन के बाद जारी किया जाएगा।

6.6 यदि सीएजी/एजी द्वारा संस्थान के खातों की लेखापरीक्षा की जाती है तो खातों और उपयोगिता प्रमाणपत्र पर वित्त अधिकारी/रजिस्ट्रार/निदेशक द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे। अन्यथा, उन पर एक चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ संबद्ध संस्था के सक्षम प्राधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित करने की आवश्यकता है।

 

7. अध्‍येतावृत्ति  की निगरानी

7.1 अध्येतावृत्ति की नियमित निगरानी निर्धारित प्रारूप में अध्‍येता द्वारा प्रस्तुत छह मासिक और वार्षिक प्रगति रिपोर्ट के आधार पर की जाती है। प्रगति रिपोर्ट में देरी होने पर, अध्‍येता को औचित्य बताने के लिए कहा जा सकता है, जिस पर आईसीएसएसआर द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अध्‍येता को आईसीएसएसआर को अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथि निर्दिष्ट करते हुए एक वचन पत्र प्रस्तुत करने के लिए भी कहा जा सकता है।

7.2 यदि अध्‍येता द्वारा किया गया शोध असंतोषजनक पाया जाता है या उसके द्वारा आईसीएसएसआर के नियमों का उल्लंघन किया जाता है तो अध्‍येतावृत्ति को बंद किया जा सकता है।

7.3 आईसीएसएसआर शोध कार्य की वार्षिक प्रस्तुति/मध्यावधि मूल्यांकन के लिए कह सकता है।

7.4 अध्‍येतावृत्ति के दौरान, अध्‍येताओं को किए गए शोध के विषय पर स्कोपस इंडेक्स्ड या यूजीसी केयर सूचीबद्ध शोध पत्रिकाओं अथवा संपादित पुस्तकों में कम से कम दो शोध पत्र प्रकाशित करने की आवश्यकता होती है।

7.5 अध्‍येताओं को अपना शोध पत्र प्रकाशित कराते समय आईसीएसएसआर को उचित पावती देनी चाहिए।

 

8. अध्‍येतावृत्ति का समापन

8.1 यदि कोई अध्‍येता एक वर्ष के अंदर अध्‍येतावृत्ति छोड़ देता है, तो उसे उस अवधि के दौरान किए गए कार्यों की एक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिससे अध्‍येतावृत्ति की अवधि तक संबद्ध संस्थान द्वारा खाते का अंतिम निपटान सुनिश्चित किया जा सके। हालाँकि, यदि कोई अध्‍येता एक वर्ष के बाद अध्‍येतावृत्ति छोड़ देता है, तो उसे शेष अवधि की अध्‍येतावृत्ति का दावा किए बिना अध्‍येतावृत्ति की अवधि पूरी होने पर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है। यदि कोई उम्मीदवार अध्‍येतावृत्ति को पूरा किए बिना छोड़ देता है, तो उसे अनुमति के लिए आईसीएसएसआर में आवेदन करना होगा और आईसीएसएसआर इस संबंध में अंतिम निर्णय लेगा। अध्‍येतावृत्ति की अवधि पूरी होने के बाद अध्‍येता से तीन महीने के अंतर्गत अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद की जाती है। हालाँकि, अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए आईसीएसएसआर द्वारा उचित कारणों परअतिरिक्त वित्तीय प्रतिबद्धता के बिना विस्तार दिया जा सकता है। यदि अध्येता आवधिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी के बाद सीधे अंतिम रिपोर्ट देर से जमा करता है, तो आईसीएसएसआर अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार करने और फेलोशिप की शेष राशि जारी करने का निर्णय लेगा।

8.2 अध्येतावृत्ति के पूरा होने पर, अध्‍येता को निम्नलिखित प्रस्तुत करना चाहिए:

अ. एक पुस्‍तक के स्वरुप में प्रकाशन योग्य अंतिम रिपोर्ट के साथ-साथ रिपोर्ट का कार्यकारी सारांश (3000-4000 शब्दों तक) और दो प्रकाशित शोध पत्र, अधिमानतः स्कोपस इंडेक्सेड या यूजीसी केयर सूचीबद्ध शोध पत्रिकाओं या किए गए शोध के विषय पर संपादित पुस्तकों में प्रकाशित।

ब. इन दस्तावेजों की मुद्रित प्रति (अंतिम रिपोर्ट की दो प्रतियां और कार्यकारी सारांश और शोध पत्रों में से प्रत्येक की दो प्रतियां) और एक सॉफ्ट कॉपी जमा की जानी चाहिए।

8.3आईसीएसएसआर साहित्यिक चोरी के लिए प्रत्येक रिपोर्ट की जांच करता है और समानता रिपोर्ट भी तैयार की जाती है। एक नीति के रूप में, ICSSR समानता सूचकांक पर 10 प्रतिशत से अधिक समानता स्वीकार नहीं करता है।
अध्‍येताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे समानता सूचकांक के लिए अपनी अंतिम रिपोर्ट की स्वयं जाँच करें और प्रस्तुत करते समय उसी की एक रिपोर्ट संलग्न करें।

 

9. संबद्ध संस्था से अपेक्षाएं

9.1 संबद्ध संस्था के लिए आवश्यक है कि वह अध्‍येता को अपेक्षित अनुसंधान अवसंरचना प्रदान करे और उचित लेखा-जोखा रखे। इसके लिए परिषद सार्वजनिक वित्त पोषित संस्था को कुल अध्‍येतावृत्ति (अध्येतावृत्ति राशि एवम आकस्मिकता) के साढ़े सात प्रतिशत (7.5%) के उपरिव्यय प्रभारों का भुगतान करेगी।

9.2 संबद्ध संस्थान को अध्‍येतावृत्ति राशि के संवितरण सहित आईसीएसएसआर अध्‍येतावृत्ति को प्रशासित और प्रबंधित करने के लिए आवेदन पत्र में निहित निर्धारित प्रारूप में एक वचन देना आवश्यक है।

9.3 संबद्ध संस्थान आईसीएसएसआर अनुदान (योजना कोड-0877) के लिए एक समर्पित बैंक खाता बनाए रखेगा जो डॉक्टरेट अध्‍येतावृत्ति अनुदान जारी करने के लिए पीएफएमएस पोर्टल पर विधिवत पंजीकृत हो।

9.4 संबद्ध संस्था के लिये यह अनिवार्य होगा कि वह संस्था के सक्षम प्राधिकारी द्वारा विधिवत प्रमाणित अंतिम रिपोर्ट और लेखाओं का लेखापरीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाणपत्र, (निर्धारित प्रारूप जीएफआर 12-ए में) प्रस्तुत करे।

9.5 यदि कोई अध्‍येता अवधि पूरी होने से पहले अपनी अध्‍येतावृत्ति छोड़ देता है / बंद कर देता है / या उसकी मृत्‍यु हो जाती है, तो संबद्ध संस्थान तुरंत आईसीएसएसआर को सूचित करेगा और तीन महीने के अंदर किसी भी अव्ययित शेष की वापसी सहित खातों का निपटान करेगा।

9.6 संबद्ध संस्था अध्ययन से संबंधित भरी हुई अनुसूचियों, सारणीकरण पत्रों, पांडुलिपियों, रिपोर्टों आदि जैसे आंकड़ों के संरक्षण के लिए उपयुक्त व्यवस्था करेगी।

9.7 आईसीएसएसआर असंश्‍लेषित आंकड़े, या इसके ऐसे हिस्से को जिसे निर्दिष्‍ट किया जा चुका है, आईसीएसएसआर में स्थानांतरित करने की मांग करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

9.8 उपरिव्यय प्रभारों का भुगतान अध्‍येतावृत्ति के पूरा होने के बाद और खातों के अंतिम लेखापरीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त होने पर ही किया जाएगा।

 

10. शर्तें

10.1 डॉक्टरेट के बाद का शोध कार्य पीएचडी के समान नहीं होना चाहिए।

10.2 आकस्मिक अनुदान का उपयोग पुस्तकों, स्टेशनरी, कंप्यूटर से संबंधित लागतों और शोध कार्य से संबंधित क्षेत्र कार्य व्यय के लिए किया जा सकता है।

10.3 पांडुलिपि का कॉपीराइट © आईसीएसएसआर के पास रहेगा। आईसीएसएसआर इसके द्वारा वित्त पोषित अध्‍येतावृत्ति रिपोर्ट को प्रकाशित करने के सभी अधिकार सुरक्षित रखता है, बशर्ते कि विशेषज्ञ/विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशन के लिए इसकी सिफारिश की गयी हो। आईसीएसएसआर से अनुमति लेने के बाद ही अध्‍येता इसे स्वयं प्रकाशित करवा सकते हैं।

10.4 अध्‍येता अध्‍येतावृत्ति के शोध कार्य के फलस्‍वरूप प्रकाशित सभी प्रकाशनों में आईसीएसएसआर के समर्थन को स्वीकार करेगें ।

10.5 सभी अध्‍येतावृत्ति संबद्ध/प्रशासनिक संस्थान के स्तर पर भारत सरकार के नियमों के अनुसार आयकर कटौती के अधीन हैं।

10.6 आईसीएसएसआर की किसी भी पिछली अध्‍येतावृत्ति/ परियोजना/ अनुदान के चूककर्ता तब तक विचार के लिए पात्र नहीं होंगे जब तक कि आवेदक संबंधित प्रशासनिक प्रभाग से मंजूरी प्राप्त नहीं कर लेता।

10.7 एक आवेदक अध्‍येतावृत्ति या वेतन सुरक्षा अध्‍येतावृत्ति के लिए एक से अधिक बार पात्र नहीं होगा।

10.8 आईसीएसएसआर से पोस्‍ट डॉक्टरल अध्‍येतावृत्ति स्वीकार करते समय, आवेदक को किसी अन्य अध्‍येतावृत्ति या शोध परियोजना या किसी अन्य संस्थान से नियमित वित्तीय लाभ/कार्य स्वीकार नहीं करना चाहिए।

10.9 अध्‍येतावृत्ति का शोध प्रस्ताव/अंतिम रिपोर्ट किसी भी विश्वविद्यालय की डिग्री/डिप्लोमा या किसी संस्थान द्वारा वित्त पोषण के लिए प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। हालांकि यदि अध्‍येता इस उद्देश्य के लिए शोध आंकड़ों का उपयोग करता है तो आईसीएसएसआर को कोई आपत्ति नहीं होगी ।

10.10 अध्‍येता के अनुरोध पर आईसीएसएसआर अनुमोदन के साथ विशेष परिस्थिति में अध्‍येतावृत्ति को एक संबद्ध संस्थान से दूसरे में स्थानांतरित किया जा सकता है और इसके लिये निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य है:

(1) संतोषजनक प्रगति रिपोर्ट;

(2) पिछले और प्रस्तावित विश्वविद्यालय / संस्थान दोनों से अनापत्ति प्रमाण पत्र;

(3) नए पर्यवेक्षक के जीवन वृत्‍त के साथ उनका सहमति पत्र;

(4) अव्ययित शेष, यदि कोई हो, के साथ लेखा का लेखापरीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाण पत्र।

10.11 अध्‍येतावृत्ति की अवधि के दौरान, अध्‍येता सभी मामलों में संबद्ध संस्था के नियमों द्वारा शासित होगा, जिसमें टीए/डीए के आहरण, अवकाश/छुट्टी और आकस्मिक अनुदान आदि शामिल हैं।

हालाँकि, फ़ेलोशिप की अवधि और राशि चौबीस महीने से अधिक नहीं होगी।

10.12 चयनित अध्येताओं से भारत में पूर्णकालिक शोध करने की अपेक्षा की जाती है। तथापि, वे अपवादात्मक मामलों में और यदि प्रस्ताव की आवश्यकताओं के अनुसार आवश्यक हो, तो भारत के बाहर आंकड़ों का संग्रह कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें आईसीएसएसआर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग की आंकड़ों का संग्रह योजना के तहत विचार के लिए अलग से आवेदन करना होगा।

10.13 आवेदक को उसके कैरियर/अनुसंधान कैरियर में किसी अनुशासनात्मक/कानूनी कार्यवाही /कार्यवाही/वित्तीय दंड का सामना नहीं करना पडा हो।

10.14 आईसीएसएसआर द्वारा मूल्यांकन के बाद ही अध्‍येता द्वारा प्रस्तुत अंतिम रिपोर्ट को संतोषजनक माना जाएगा।

10.15 अध्‍येता द्वारा आकस्मिक अनुदान से खरीदी गई पुस्तकों/पत्रिकाओं/उपकरणों को संबद्ध संस्थान में जमा किया जाना चाहिए ।

10.16 एक विज्ञापन के अंतर्गत जमा किए गए आवेदन पर बाद के विज्ञापनों में विचार नहीं किया जाएगा।

10.17 परिषद किसी भी आवेदन को अस्वीकार करने का अधिकार सुरक्षित रखती है। यह किसी भी डाक हानि/संचार में देरी के लिए भी जिम्मेदार नहीं है।

10.18 अध्‍येतावृत्ति के लिए किसी भी तरह से अपूर्ण आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।

10.19 दिशानिर्देशों की व्याख्या से संबंधित या अन्‍य किसी भी मामले में अंतिम अधिकार आईसीएसएसआर के पास निहित है।

10.20 जिन अध्‍येताओं ने अध्‍येतावृत्ति की अपनी अवधि पूरी कर ली है और यदि वे इसे अपने नाम के साथ लिखना जारी रखते हैं, तो उन्हें अध्‍येतावृत्ति के नाम के साथ 'पूर्व' और 'अवधि' प्रत्यय लगाना चाहिए उदाहरण के लिये पूर्व राष्ट्रीय/वरिष्ठ/पोस्ट-डॉक्टरल फेलो आईसीएसएसआर (2016-18)।

अनुसंधान प्रस्ताव का प्रारूप

आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित सामग्री / अनुभागों से युक्त अनुसंधान प्रस्ताव का पूरा प्रारूप होने चाहिये जिसका नाम है खंड IV: अनुसंधान प्रस्ताव का विवरण। कोई शोध प्रस्ताव या उसका कोई खंड अलग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।

कुल मिलाकर, शोध प्रस्ताव लगभग 3,000 शब्दों में होना चाहिये जिसमें निम्नलिखित खंड शामिल हों:

  1. शोध प्रस्ताव का शीर्षक:शोध प्रस्ताव में एक स्पष्ट, सार्थक और पुष्ट विषय होना चाहिए जो अध्ययन के दायरे को दर्शाता हो।
  2. प्रस्तावित शोध प्रस्ताव का सार (लगभग 200 शब्दों में) दिया जाना चाहिए।
  3. परिचय: प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से उस शोध समस्या का उल्लेख होना चाहिए जिसकी जांच उसके सैद्धांतिक और/या अनुभवजन्य संदर्भ के संदर्भ में प्रासंगिक क्षेत्र (लगभग 400 शब्दों में) के आलोक में की जानी चाहिए।
  4. समीक्षा किए गए प्रमुख शोध कार्य: (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय): शोध के प्रस्तावित विषय से संबंधित कम से कम 15 से 20 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध कार्यों की समीक्षा इस खंड में (लगभग 300 शब्दों में) दी जानी है।
  5. अनुसंधान अंतराल की पहचान: अध्‍येता को क्षेत्र में अनुसंधान की वर्तमान स्थिति और क्षेत्र में शोधकर्ता के स्वयं के कार्य सहित प्रमुख निष्कर्षों को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहिए। मौजूदा अनुभवजन्य निष्कर्षों पर भी चर्चा की जा सकती है। सिंहावलोकन स्पष्ट रूप से मौजूदा निष्कर्षों या दृष्टिकोणों और इसकी प्रासंगिकता (लगभग 300 शब्दों में) में अपर्याप्तता/अंतराल को प्रदर्शित करना चाहिए।
  6. अध्ययन के उद्देश्य: अध्ययन के सामान्य उद्देश्य के साथ-साथ विशिष्ट उद्देश्यों को पूरा किया जाना चाहिए अथवा स्पष्ट रूप से कहा जाना चाहिए (लगभग 100-150 शब्दों में)।
  7. शोध प्रश्न या परिकल्पना: संकल्पनात्मक ढांचे और आयाम की विशिष्टता को देखते हुए, प्रस्तावित शोध के माध्यम से उत्तर दिए जाने वाले विशिष्ट प्रश्नों को स्‍पष्‍टता से तैयार किया जाना चाहिए। व्याख्यात्मक अनुसंधान संरचना होने पर विशिष्ट परिकल्पनाओं के माध्यम से चर मूल्‍यों के विनिर्देश और उनके बीच संबंध की स्थिति (लगभग 150-200 शब्दों में) दी जानी चाहिए।
  8. अनुसंधान के लिए प्रस्तावित रूपरेखा और तरीके: शोधकर्ता को विस्तार से निम्‍नलिखित का वर्णन करना चाहिए (अ) उसके अध्ययन का दायरा और विस्‍तार; और (ब) अनुसंधान के पर्याप्त औचित्य के साथ दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली। कार्यप्रणाली के विवरण में अनुसंधान संरचना, एकत्र किए जाने वाले आंकड़े और उपयोग किए जाने वाले अनुभवजन्य और विश्लेषणात्मक तरीके शामिल हो सकते हैं। कार्यप्रणाली का विवरण स्पष्ट रूप से अनुसंधान के उद्देश्यों और अध्ययन के शोध प्रश्नों/परिकल्पनाओं (लगभग 300 शब्दों में) से जुड़ा होना चाहिए।
  9. अनुसंधान का नवोन्मेष/लीक से हटकर होने वाला पहलू: यहां, अध्ययन में परिकल्पित दृष्टिकोण और अवधारणाओं में नवीनता को स्पष्ट करने पर जोर दिया जाना चाहिए (लगभग 200 शब्दों में)।
  10. अध्ययन के प्रस्तावित परिणाम: शोध के दौरान और इसके पूरा होने के बाद प्रकाशनों की प्रस्तावित योजना पर एक संक्षिप्त नोट प्रदान किया जाना चाहिए। इस अनुभाग में प्रकाशनों के संदर्भ में अध्ययन से प्रस्तावित परिणाम को सूचीबद्ध करना चाहिए जिनमें शोध पत्रिकाओं, विशेष रूप से स्कोपस / यूजीसी की केयर सूची वाली शोध पत्रिकाओं में शोध पत्र एवम किताबें, मोनोग्राफ आदि शामिल हों (लगभग 150-200 शब्दों में)।
  11. नये आंकड़ों की उत्‍पत्ति:मौजूदा आंकड़ों में पाई गई कमियों / अपर्याप्तताओं पर एक नोट और प्रस्तावित शोध के परिणामस्‍वरूप उत्पन्न होने वाले नए आंकड़ों का विवरण (लगभग 100-150 शब्दों में)।
  12. नीति-निर्माण के लिए प्रस्तावित अध्ययन की प्रासंगिकता: : शोध के विषय में सिद्धांत और कार्यप्रणाली के साथ-साथ नीति निर्माण में होने वाले महत्वपूर्ण योगदान पर एक संक्षिप्त संक्षिप्त विवरण दिए जाने की आवश्यकता है (लगभग 150 शब्दों में)।
  13. समाज के लिए प्रस्तावित अध्ययन की प्रासंगिकता: शोध कार्य के द्वारा समाज में होने वाले महत्वपूर्ण योगदान पर एक संक्षिप्त संक्षिप्त विवरण दिया जाना चाहिए (लगभग 200 शब्दों में)।
  14. त्रैमासिक समयसीमा के हिसाब से अध्ययन के लिए लक्ष्‍य का निर्धारण: अनुसंधान कार्य को समय पर पूरा करने के लिए अध्‍येतावृत्ति के दौरान एक त्रैमासिक समयरेखा दी जानी चाहिये। प्रत्येक क्रमिक तिमाही के लिए समय-सीमा निर्धारित की जानी चाहिए और अंतिम रिपोर्ट (लगभग 100 शब्दों में) को समय पर प्रस्तुत करने के लिए इसका पालन भी किया जाना चाहिए।