1.1 सामाजिक विज्ञान में उच्च कोटि के अनुसंधान के लिए, विज्ञान और अनुसंधान कला में प्रशिक्षण एक मूलभूत आवश्यकता है। जबकि, सामाजिक विज्ञान अनुसंधान दार्शनिक आधार पर सामान्य रूप से सामाजिक विज्ञान के लिए एक समान है, आमतौर पर विभिन्न विषयों ने अपने स्वयं की सैद्धांतिक रूपरेखा और अनुसंधान प्रक्रियाओं/तकनीकों को विकसित किया है। हालांकि, उन अध्येताओं, जिन्होंने स्वयं को अंत:विषयक अथवा बहुविषयक अनुसंधान में व्यस्त रखा है उन्हें अपने आपको उन विषयों की अनुसंधान कार्यनीति से सुपरिचित होने की जरूरत है जिसमें वे प्रशिक्षित हैं। इसके अतिरिक्त, अनुसंधान समस्या की अवस्था से लेकर अंतिम रिपोर्टिंग और निष्कर्षों के प्रकाशन तक, ऐसे कई पहलू हैं जिनमें अच्छे अनुसंधानकर्ता को अपने कौशल को निखारना पड़ता है। इसलिए आईसीएसएसआर, विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान पद्धति और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को वित्त-पोषित और प्रायोजित करती है।
आईसीएसएसआर, प्रशिक्षण और क्षमता कार्यक्रम के (टीसीबी) अंतर्गत उन सामाजिक विज्ञान संकायों को अनुदान प्रदान करती है जो युवा अनुसंधानकर्ताओं और कनिष्ठ संकायों के लिए विभिन्न सामाजिक विषयों में अनुसंधान पद्धति और क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, ये विषय निम्नलिखित हैं :
प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम को निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
(क) शोध कार्य पद्धति पाठ्यक्रम (आरएमसी)
इस कार्यक्रम का उद्देश्य एम.फिल/पीएच.डी/पीडीएफ अध्येताओं की कार्य पद्धति और लेखन कौशल में वृद्धि करना एवं भविष्य के शिक्षाविदों/सामाजिक शोधकर्ताओं के रूप में उनकी क्षमता को विकसित करना है।
(ख) क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी)
इस कार्यक्रम का उद्देश्य, सेवारत सामाजिक विज्ञान में व्याख्याता/ सहायक प्रोफेसरों को उनके विषयों, तकनीकी उप-उत्पादों आदि में उनकी नवीनतम प्रगति के लिए और/अथवा उनकी सामान्य कार्य-पद्धति और लेखन कौशल में बेहतर प्रदर्शन का मौका प्रदान करना है।
3.1 संस्थान/संगठन :
वैसी आयोजन संस्था, जो टीसीबी कार्यक्रम को आयोजित करने की योजना बना रही है उसे एक आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थान/मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा यथा परिभाषित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान/यूजीसी मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय/मानित विश्वविद्यालय और शोध क्षमता और संसाधन से युक्त सरकारी अनुसंधान संस्थान होना चाहिए।
3.2 पाठ्यक्रम निदेशक
दोनों कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम निदेशक को सामाजिक विज्ञान विषयों में सेवारत प्रोफेसर अथवा एसोसिएट प्रोफेसर होना चाहिए और उनकी प्रकाशन पृष्ठभूमि बेहतर होनी चाहिए। यदि सह-पाठ्यक्रम निदेशक की आवश्यकता है तो व्यक्ति को सेवारत प्रोफेसर/एसोसिएट/सहायक प्रोफेसर के साथ एक अच्छा प्रकाशन रिकार्ड होना चाहिए। हालांकि, अलग-अलग आवेदकों के लिए एक आरएमसी/सीबीपी और नए आवेदन जमा करने की तिथि से एक वर्ष की विश्राम (कूलिंग) अवधि होगी।
3.3 प्रतिभागी
3.3.1 आरएमसी के अंतर्गत, प्रतिभागियों को यूजीसी मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय/मानित विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों से एम.फिल/पीएच.डी/पीडीएफ के लिए पंजीकृत होना चाहिए और उनका आवेदन उन मान्यता प्राप्त संस्थानों से विधिवत अग्रेषित होना चाहिए।
3.3.2 सीबीपी के अंतर्गत, आवेदकों को यूजीसी मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय/मानित विश्वविद्यालयों/कॉलेजों/राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और आईसीएसएसआर अनुसंधान संस्थानों में प्राध्यापक/सहायक प्रोफसर होना चाहिए और उनका आवेदन मूल संस्थान द्वारा विधिवत अग्रेषित होना चाहिए।
3.3.3 सामाजिक विज्ञान विषयों से प्रतिभागियों की संख्या कम-से-कम तीस(30) होनी चाहिए जिनमें दस (10) शहरों से, दस (10) राज्यों से और दस (10) राज्य के बाहर से होने चाहिए। हालांकि, पाठ्यक्रम निदेशक 30 प्रतिभागियों से अधिक को पंजीकृत कर सकता है, किंतु आईसीएसएसआर इसके लिए अतिरिक्त अनुदान उपलब्ध नहीं कराएगा।
3.3.4 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अपेक्षित प्रतिभागी मूल योजना के अंतर्गत, इन श्रेणियों से संबंधित हो सकते हैं। हालांकि, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अपेक्षित प्रतिभागियों की अनुपलब्धता की स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, और बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी के व्यक्तियों और अल्पसंख्यकों को वरीयता दी जाएगी।
4.1 पूरे वर्ष के दौरान, आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किए जाते हैं।
4.2 आरएमसी/सीबीपी के लिए निर्धारित तिथि से कम-से-कम तीन माह पूर्व आवेदन भेजे जाने चाहिए।
4.3 आवेदन ऑनलाइन भेजने के उपरांत, उसकी हार्ड कॉपी संबद्ध संस्था द्वारा:प्रभारी, टीसीबी प्रभाग, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, अरुणा आसफ अली मार्ग, नई दिल्ली-110067, को निम्नलिखित अनुलग्नकों सहित अवश्य भेजा जाना चाहिए:-
अनुलग्नक-I: अंग्रेजी अथवा हिन्दी में लगभग 1000 शब्दों में संकल्पना टिप्पणी।
अनुलग्नक-II: संभावित कार्यक्रम की सूची
अनुलग्नक-III: पाठ्यक्रम निदेशक और सह-निदेशक का संक्षिप्त शैक्षिक-वृत्त (2-3 पृष्ठों से अधिक न हो)
अनुलग्नक-IV: स्रोत व्यक्तियों की सूची उनकी संबद्धता, पदनाम, विशिष्टता, मोबाइल नंबर और ई-मेल आइडी के साथ
अनुलग्नक-V: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/विकलांगता प्रमाण-पत्र की अभिप्रमाणित प्रति, यदि लागू हो।
5.1 प्रारंभिक तौर पर, आवेदनों की जांच आईसीएसएसआर सचिवालय द्वारा की जाती है।
5.2 उसके बाद, विशेषज्ञ समिति श्रेष्ठ प्रस्तावों का चयन करेगी।
5.3 उसके बाद, विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें अनुसंधान समिति/परिषद के पास अंतिम अनुमोदन के लिए प्रस्तुत की जाती हैं।
अनुसंधान पद्धति पाठ्यक्रम (आरएमसी)
6.1 इस पाठ्यक्रम की अवधि पूरे दस(10) कार्य-दिवस की होगी।
6.2 अनुदान की अधिकतम सीमा 5.5 लाख रुपए है।
6.3 नीचे दर्शाई गई सारणी के अनुसार बजट तैयार किए जा सकते हैं :
क्र.सं. | व्यय शीर्ष | संख्या | इकाईलागत (रु.) | अधिकतम सीमा (रुपयेमें) |
1. | यात्रा | |||
क. | राज्य विषय विशेषज्ञों से बाहर(राज्य के भीतर 5 तथा बाहर से 5) | 10 | 1,15000/- | |
ख. | आईसीएसएसआर पर्यवेक्षक प्रतिभागी | 20 | 20,000/- | |
ग. | (राज्य के भीतर 10 और 10 बाहर से) | 20 | ||
2. | मानदेय | |||
क. | प्रति सत्र विषय विशेषज्ञों में से बाहर(5x2=10x3000=30000/-) | 3000/- प्रतिसत्र | 30000/- | |
ख. | प्रति सत्र राज्य विषय विशेषज्ञों में से (5x2=10x3000=30000/-) | 3000/- प्रतिसत्र | 30000/- | |
ग. | प्रति सत्र स्थानीय विषय विशेषज्ञ (5x2=10x2500=25000/-) | 2500/- प्रतिसत्र | 25000/- | |
घ. | पाठ्यक्रम निदेशक | 1000/- प्रतिदिन | 10000/- | |
ड. | सह-पाठ्यक्रम निदेशक | 500/- प्रतिदिन | 5000/- | |
3. | रुकने पर खर्च | |||
क. | बाहर से बुलाए गए विशेषज्ञ | 1,00,000/- | ||
ख. | प्रतिभागी | |||
4. | भोजन पर व्यय (500/- रु0 प्रतिदिन प्रति व्यक्ति) | 1,50,000/- | ||
5. | पाठ्यक्रम सामग्री | 15,000/- | ||
6. | फील्ड वर्क | 20,000/- | ||
7. | आकस्मिक व्यय (पेपर, स्टेशनरी, फोटोकॉपी, विज्ञापन खर्च इत्यादि समेत) | -- | -- | 20,000/- |
8. | आयोजक संस्थान को देय उपरिव्यय | -- | -- | 10,000/- |
कुल | 5,50,000/- |
प्रत्येक सत्र की अवधि डेढ़ घंटे(90 मिनट) की है। सत्रों की संख्या 30**है। राज्य के बाहर से कुल विषय विशेषज्ञ 5 हो सकते हैं, पूरे राज्य से 5 और स्थानीय विषय विशेषज्ञों की संख्या 5 से 8 हो सकती है। राज्य के बाहर तथा राज्य से आने वाले विषय विशेषज्ञों में से प्रत्येक को दो (2) सत्र सौंपे जाएंगे, जबकि स्थानीय विषय विशेषज्ञों को 1 से 2 सत्र, सभी 3 श्रेणियों में 10 व्याख्यान की अधिकतम सीमा शर्तों के अधीन, सौंपे जा सकते हैं।
क्षमता निर्माण कार्यक्रम(सीबीपी)
6.4 पाठ्यक्रम की अवधि बारह(12) पूरे कार्य-दिवस की होगी
6.5 अनुदान की अधिकतम सीमा 8 लाख रुपये है।
क्र.सं. | व्यय शीर्ष | संख्या | इकाईलागत (रु0) | अधिकतम सीमा(रुपये में) | |
1. | यात्रा | 12 | -- | 1,34,000/- | |
क. | राज्य विषय विशेषज्ञों से बाहर(राज्य के भीतर 6 तथा बाहर 6) | ||||
ख. | आईसीएसएसआर पर्यवेक्षक | ||||
ग. | प्रतिभागी (राज्य के अंदर के 10 तथा राज्य के बाहर के 10) | 20 | 65,000/- | ||
2. | मानदेय | ||||
क. | प्रति सत्र राज्य विषय विशेषज्ञों से बाहर(6x2=12x3000=36000/-) | 3000/ प्रतिसत्र | 36,000/- | ||
ख. | प्रति सत्र राज्य विषय विशेषज्ञों के अंदर (6x2=12x3000=36000/-) | 3000/ प्रतिसत्र | 36,000/- | ||
ग. | प्रति सत्र स्थानीय विषय विशेषज्ञ (6x2=12x2500=30000/-) | 2500/ प्रतिदिन | 30,000/- | ||
घ. | पाठ्यक्रम निदेशक | 1000/ प्रतिदिन | 12,000/- | ||
ड. | सह-पाठ्यक्रम निदेशक | 1000/ प्रतिदिन | 6,000/- | ||
3. | रुकने पर खर्च | 2,00,000/- | |||
क. | बाहरी विषय विशेषज्ञ | ||||
ख. | प्रतिभागी गण | ||||
4. | भोजन पर व्यय (500/- रु0 प्रतिदिन,प्रति व्यक्ति) | 2,00,000/- | |||
5. | फील्ड वर्क | 25,000/- | |||
6. | पाठ्यक्रम सामग्री | 14,000/- | |||
7. | आकस्मिक व्यय (पेपर, स्टेशनरी, फोटोकॉपी, विज्ञापन खर्च इत्यादि समेत) | -- | -- | 30,000/- | |
8. | आयोजक संस्थान को देय उपरिव्यय | -- | -- | 12,000/- | |
कुल | 8,00,000/- |
विषय विशेषज्ञों की संख्या 18 (6 स्थानीय, 6 राज्य के भीतर से और 6 राज्य के बाहर से) हैं। प्रत्येक सत्र की अवधि डेढ़ घंटे (90 मिनट) की है। कुल सत्र 36 है। **बाहरी राज्य से कुल विषय विशेषज्ञ 6 हो सकते हैं, राज्य भर से 6 और स्थानीय संसाधन व्यक्तियों की संख्या 6 से 8 हो सकती है।राज्य के बाहर तथा राज्य से आने वाले विषय विशेषज्ञों में से प्रत्येक को दो (2) सत्र सौंपे जाएंगे, जबकि स्थानीय विषय विशेषज्ञों को 1 से 2 सत्र, जो कि उन्हें सभी 3 श्रेणियों में 12 व्याख्यानों की अधिकतम सीमा शर्तों के अधीन, सौंपे जा सकते हैं।
6.7 दोनों योजनाओं में अनुदान दो किस्तों में जारी किया जाएगा। पहली किस्त की 75 प्रतिशत राशि एक माह के अंदर, कार्यक्रम कीवास्तविक औरविस्तृत कार्यक्रमप्राप्त किए जाने के उपरांत जारी की जाएगी। दूसरी तथा अंतिम किस्त की 25 प्रतिशतराशि जीएफआर 12 ए फॉर्म में अंतिम रिपोर्ट, लेखा-परीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त होने के उपरांत जारी की जाएगी।
केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के मामलों में, वित्त अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एसी/यूसी स्वीकार्य है। अन्य सभी संस्थानों/विश्वविद्यालयों के लिए, एसी/यूसीको एक चार्टड एकाउंटेंट द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए।
7.1 आईसीएसएसआर कार्यक्रम की विशिष्टता की निगरानी के लिए, एक अधिकारी/पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर सकताहै।
7.2 कार्यशाला के अंतिम दिन, पाठ्यक्रम निदेशक/सह-निदेशक द्वारा आईसीएसएसआर पर्यवेक्षक की उपस्थिति में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिए गए व्याख्यानों के आधार पर सभी प्रतिभागियों के मूल्यांकन के लिए, एक जांच करनी अपेक्षित होती है।
7.3 आईसीएसएसआर सीधे विषय विशेषज्ञों और प्रतिभागियों से संचालित पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता के बारे में फीडबैक ले सकती है।
8.1 आईसीएसएसआर द्वारा एक बार कार्यक्रम के स्वीकृत हो जाने के पश्चात्, पर्याप्त संख्या में आवेदकों को आकर्षित करने के लिए आईसीएसएसआर प्रतीक चिन्ह के साथ व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। यह प्रचार समाचार-पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से और संस्थान की वेबसाइट में सारी जानकारी अपलोड करके किया जा सकता है। इसकी एक प्रति आईसीएसएसआर को उनकी वेबसाईट में अपलोड करने के लिए भेजी जा सकता है।
8.2 प्रतिभागियों के साथ विस्तृत चर्चा/बातचीत के पश्चात् प्रतिदिन कम-से-कम तीन व्याख्यान होने चाहिए।
8.3 पाठ्यक्रम निदेशक यह सुनिश्चित करेगा कि कम-से-कम दो सत्र सामाजिक विज्ञान अनुसंधान, अनुसंधान उपकरण और लाइब्रेरी एवं ई-लाइब्रेरी प्रशिक्षण में डाटा के उपयोग के लिए समर्पित हैं। यदि कोई पाठ्यक्रम निदेशक, किसी विशेष प्रशिक्षण जैसे कि एसपीएसएस, आपदाप्रबंधन, स्वास्थ्य प्रशिक्षण, सामाजिक विज्ञान में आईसीटी का उपयोग आदि के लिए प्रस्ताव करता है तो अतिरिक्त बजटीय आवश्यकताओं के लिए के साथ इसका उल्लेख प्रस्ताव में किया जाना चाहिए।
8.4 विशिष्ट मौलिक योजना के अंतर्गत, पाठ्यक्रम के लिए 50% से अधिक प्रतिभागी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणी के होने चाहिए।हालांकि, अपेक्षित प्रतिभागियों की अनुपलब्धता की स्थिति में अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, और बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी के व्यक्तियों एवं अल्पसंख्यकों को वरीयता दी जाएगी।
8.5 पाठ्यक्रम के लिए आमंत्रित संसाधन व्यक्तियों को विभिन्न भौगोलिक एवं सामाजिक विज्ञान पृष्ठभूमि विशेषकर संसाधन पद्धति और प्रकाशन में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर होना आवश्यक है। आरएमसी/सीबीपी दोनों के लिए, विषय विशेषज्ञों का चयन करते समय, पाठ्यक्रम निदेशक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य से बाहर के, राज्य से और स्थानीय क्षेत्र से विषय विशेषज्ञ कुल व्याख्यानों का 1/3 (33%) अंश का योगदान दें।
8.6 विषय विशेषज्ञों की यात्रा एवं ठहराव के लिए, मेजबान संस्थानों के नियम लागू होंगे।
8.7 पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए, प्रतिभागियों से किसी प्रकार का पंजीयन शुल्क नहीं लिया जाएगा।
8.8 पाठ्यक्रम निदेशक/सह-निदेशक समान पाठ्यक्रम में सत्र लेने के लिए मानदेय लेने के हकदार नहीं होंगे।
8.9 आईसीएसएसआर पर्यवेक्षक की यात्रा, आवास और भोजन के खर्चों की पूर्ति “विषय विशेषज्ञों की यात्रा एवं बाहर के स्टेशन पर ठहराव” के स्वीकृत बजट शीर्ष से की जाएगी।
8.10 संस्थान, एक स्वीकृत उप-शीर्ष से दूसरे विषय के अधिकतम दसप्रतिशततक के खर्च को पुन:समायोजित कर सकता है। किसी भी मद के लिए, स्वीकृत राशि के दस प्रतिशत से अधिक के पुन:समायोजन के लिए आईसीएसएसआर की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।
8.11 स्वीकृत अनुदान की राशि को 3 माह के भीतर/उसी वित्तीय वर्ष में उपयोग में लाना चाहिए।यदि अनुदानग्राही, निर्धारित अवधि के अंदर अनुदान की राशि का उपयोग करने में विफल रहता है तो उसे अनुदान राशि प्राप्त करने की तिथि से 10% के दंड ब्याज के साथ आईसीएसएसआर को वापस करनी होगी।
8.12 परिषद बिना कोई कारण बताए किसी भी आवेदन को अस्वीकार कर सकता है। यह किसी प्रकार के डाक विलंब/क्षति के लिए भी जिम्मेदार नहीं है।
8.13 किसी भी प्रकार के अधूरे आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।
8.14 दिशा-निर्देशों अथवा किसी छूटे हुए मामलों की व्याख्या का अंतिम प्राधिकार आईसीएसएसआर के पास निहित है।
8.15 अनुसूचितजाति, अनुसूचित जनजाति और बेंचमार्क विकलांगता श्रेणी के व्यक्तियों के संबंध में, आईसीएसएसआर भारत सरकार के नियमों एवं निर्देशिकाओं का पालन करता है।
9.1 पाठ्यक्रम की समाप्ति पर, पाठ्यक्रम निदेशक एक माह के भीतर निम्नलिखित प्रस्तुत करेगा :
क. विषय विशेषज्ञों द्वारा पर्यवेक्षणों/सिफारिशों सहित अंतिम रिपोर्ट
ख. पाठ्यक्रम की रूपरेखा
ग. संसाधन सामग्री का एक सेट
घ. प्रतिभागियों द्वारा मूल्यांकन का सारांश (अनुलग्नक II व III)
ड. आगे सुधार के लिए सुझाव और
च. प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र जिसमें आईसीएसएसआर का नाम एवं प्रतीक-चिन्ह अंकित हो और जिसे आयोजन संस्थान द्वारा जारी किया गया हो।
छ. पूरी स्वीकृत राशि के लिए, जीएफआर-12ए फॉर्म में शीर्ष-वार लेखापरीक्षित लेखा-सारणी एवं उपयोग प्रमाण-पत्र वित्त अधिकारी/रजिस्ट्रार/प्राध्यापक/निदेशक से विधिवत हस्ताक्षरित हो, यदि संस्थान के खातों का सीएजी/एजी द्वारा लेखा-परीक्षण किया जाताहै। अन्यथा, उस पर दोनों चार्टर्ड एकाउंटेंट के साथ-साथ संबद्ध संस्था के सक्षम अधिकारी द्वारा भी हस्ताक्षर करने की आवश्यकता है।
10.1 वह अग्रेषण संस्था, जहां प्रस्तावित पाठ्यक्रम को संचालितकिया जाना हैं उसे निर्धारित प्रारूप में विधिवत रूप से स्टांप सहित और सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर से एक वचन-पत्र देना होगा जिसमें आईसीएसएसआर अनुदान की व्यवस्था करने के साथ प्रबंधन एवं पाठ्यक्रम के लिए वाहन व्यवस्था की उपलब्धता का उल्लेख हो।
10.2 कार्यक्रम के मेजबान संस्थान को प्रबंधन एवं रसद, स्टाफ की व्यस्था, व्याख्यान स्थल आदि जैसी समस्त सुविधाएं प्रदान करना चाहिए। इसके लिए, मेजबान संस्थान को 10 प्रतिशत उपरिव्यय का भुगतान किया जाएगा जो कि अंतिम रिपोर्ट और लेखा-परीक्षित लेखा विवरण एवं उपयोगिता प्रमाण-पत्र (विहित प्रपत्र जीएफआर 12-ए में) की प्राप्ति के उपरांत जारी किया जाएगा।
10.3 कार्यक्रम के दौरान, समग्र प्रबंधन व सभी सत्र का समय से संचालन और प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के लिए पाठ्यक्रम के निदेशक उत्तरदायी होंगे। यदि कोई सह-निदेशक हैं तो वे कार्यशाला के संचालन की समस्त जिम्मेदारियों के निर्वहन में निदेशक को सहयोग देंगे।
10.4 मेजबान संस्थान एवं पाठ्यक्रमनिदेशक से यह अपेक्षा की जाती है कि वे कम से कम एक महीने पहले से ही इस पाठ्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार करें, जिसमें यह स्पष्ट उल्लेख हो कि यह एक आईसीएसएसआर प्रायोजित कार्यक्रम है।