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भारत की जनजातियों (अनुसूचित जनजातियों) की अपनी विशिष्ट मूल कथाएँ (जाति पुराण), अपने स्वयं के देवी-देवता, स्वयं के रीति-रिवाज और त्‍योहार हैं। ये कहानियाँ, देवी-देवता और रीति-रिवाज उनकी मूल शक्तियों, प्रतिबद्धताओं और आस्‍थाओं को दर्शाते हैं। उनका अपना गौरवशाली इतिहास भी है जिसमें कई पूज्य नायक, संत और राजा शामिल हैं। प्राय: उनकी अपनी बोलियाँ भी होती हैं। वे विशिष्ट एवं मूल्यवान कौशल एवं प्रौद्योगिकियों के संवाहक हैं। अलग-अलग जनजातियाँ भारत के विशिष्ट भागों से जुड़ी हुई हैं और उनके मूल या निवास स्थान की विशिष्ट भू-आकृति विशेषताएँ, विशिष्ट नदियाँ, वनस्पति और जानवर हैं। जनजातियों का इन भौगोलिक विशेषताओं के साथ गहरा जुड़ाव है। उनके लिए, इन सभी की एक विशेष पवित्रता है। वे अपने विशिष्ट भू-स्‍थानिक पहाड़ों, नदियों, जल निकायों, वनस्पतियों और जानवरों का सम्मान करते हैं और इन पवित्र संस्थाओं के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने के लिए तीर्थयात्रा करते हैं। भूमि और उसके विशिष्ट वनस्पतियों और जीवों के प्रति यह श्रद्धा प्रकृति और सभी प्राणियों के साथ एकता की गहरी भावना से उत्पन्न होती है, जो उनकी कहानियों और गीतों में भी व्यक्त होती है। जिस भौगोलिक स्‍थानों का वे सम्मान करते हैं, वह अक्सर असाधारण सुंदरता, समृद्धि और भव्यता से संपन्न होता है। जिस परंपरा और इतिहास का वे सम्मान करते हैं, उनके अपने गौरवशाली प्रसंग हैं; उनके अपने महान नायक, संत और राजा हैं। ये कई भूगोल, इतिहास और परंपराएँ भारत की सभ्यतागत विरासत के महत्वपूर्ण घटक और अभिव्यक्तियाँ हैं।

भारत सरकार ने 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस के रूप में घोषित करके भारत की जनजातियों की इन गौरवशाली विशेषताओं का जश्न मनाने का फैसला किया है। भारत की अलग-अलग जनजातियों के विशिष्‍ट गुणधर्मिता पर प्रामाणिक साहित्य का संग्रह बनाने हेतु, भा.सा.वि.अ.प. ने इसे अध्ययन और शोध के अपने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक के रूप में अंगीकार करने का प्रस्ताव रखा है।

भा.सा.वि.अ.प. उन शोध परियोजनाओं को आमंत्रित करता है जो भारत की विशिष्ट जनजातियों के विशिष्ट भूगोल, इतिहास, कौशल, प्रौद्योगिकी, कहानियों, गीतों, आस्‍थाओं और रीति-रिवाजों को व्यापक और प्रामाणिक रूप से अभिलेखित करने का प्रस्ताव रखते हैं। हम उन अध्ययनों में भी हिस्‍सा लेंगे जो विभिन्न जनजातियों के नायकों, संतों और राजाओं की जीवन-कथाओं को प्रामाणिक और बृहत् रूप से संकलित करने का प्रस्ताव रखते हैं।

ऊपर वर्णित अन्य प्रस्तावों के अतिरिक्त, इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और कार्यों, उनके साथ जुड़े इलाकों, स्थानों और परिवारों का विस्तृत भौगोलिक और समाजशास्त्रीय अध्ययन; तथा उनके द्वारा स्थापित धार्मिक आंदोलन अध्ययन पर ऐतिहासिक और अभिलेखीय सामग्री के गहन और विस्तृत संकलन को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखते हैं।ऊपर वर्णित अन्य प्रस्तावों के अतिरिक्त, इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और कार्यों, उनके साथ जुड़े इलाकों, स्थानों और परिवारों का विस्तृत भौगोलिक और समाजशास्त्रीय अध्ययन; तथा उनके द्वारा स्थापित धार्मिक आंदोलन अध्ययन पर ऐतिहासिक और अभिलेखीय सामग्री के गहन और विस्तृत संकलन को विशेष रूप से प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव रखते हैं।

ये अध्ययन बारह महीने से चौबीस महीने की अवधि के लिए होंगे।