वर्तमान वैश्विक महामारी कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) के प्रकोप ने भारत सहित पूरे विश्व के लिए एक बहुत ही गंभीर चुनौती पैदा की है। वैश्विक स्तर पर, ऐसा कहा जाता है कि अब तक (23 अप्रैल, 2020) 27 लाख लोग इससे संक्रमित (पुष्ट मामले) हो चुके हैं, 1,91,000 से अधिक मौतें हुई हैं जो कुल मामलों का 7 प्रतिशत है, 210 से अधिक देश इससे प्रभावित हुए हैं और अर्थव्यवस्थाओं को अकल्पनीय स्तर तक नुकसान पहुँचा है। जान-माल की हानि और आर्थिक नुकसान दोनों के संदर्भ में वास्तविक क्षति, वर्तमान में देखी जा रही क्षति से कहीं अधिक होने की उम्मीद है।
भारत के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलग-अलग स्तरों पर इस समस्या का खामियाजा भुगतना पड़ा है। अब तक भारत में लगभग 23,400 मामलों की पुष्टि हुई है, जिनमें से लगभग 5100 लोग ठीक हो चुके हैं और 740 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जो पुष्ट मामलों का लगभग 3.16 प्रतिशत है।
विश्व में हर कोई इस आपदा की गंभीरता से परेशान और स्तब्ध है तथा सभी के मन में यह चिंता है कि जल्द ही वैक्सीन या दवा के रूप में इसका कोई समाधान निकाल लिया जाए। उपचार के अभाव की अवधि का प्रभाव विश्व की सामूहिक व्याकुलता पर पड़ना निश्चित है, विशेष रूप से इसलिए क्योंकि पीड़ा की सीमा आश्चर्यजनक रूप से उच्च स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है, हालांकि सटीक क्षति, महामारी की गंभीरता, तीव्रता और अवधि पर निर्भर करेगी।
कुछ देशों की इस बात के लिए सराहना की जा रही है कि उन्होंने अन्य देशों की तुलना में स्थिति को बेहतर ढंग से संभाला है। ऐसे कई कारक हो सकते हैं जिन्होंने इस संकट की स्थिति के बेहतर प्रबंधन या शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शासन का संबंध मामलों की संख्या को नियंत्रित करने, वायरस से संक्रमित लोगों को कुशल चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने, चिकित्सा सलाह को लागू करने, शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने, लोगों को समस्या और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तथा स्वच्छता आदि के बारे में जागरूक करने से है। प्रबंधन को जनसंख्या के आकार, घनत्व और मौजूदा बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के संदर्भ में भी देखा जा सकता है।
वायरस को बढ़ने से रोकने के लिए भारत सरकार ने दिनांक 22 मार्च, 2020 को एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया और वायरस की श्रृंखला को तोड़ने के लिए दिनांक 24 मार्च, 2020 को देश में संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की जिसे बाद में दिनांक 3 मई, 2024 तक बढ़ाया गया। देश के विभिन्न राज्यों ने भी स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है और उनके शासन का भी अध्ययन किया जा सकता है।
इस महामारी के चिकित्सा विज्ञान और औषधि की खोज से संबंधित आयामों के अलावा कई सामाजिक विज्ञान और अंतःविषयक एवं पार-विषयक आयाम भी हैं। ये सामाजिक विज्ञान आयाम वैश्विक, राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तरों पर प्रकोप और प्रतिक्रिया के बारे में हमारी समझ को बढ़ा सकते हैं क्योंकि सामाजिक विज्ञान संदर्भ रोग के प्रसार और फैलाव की गतिशीलता, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया, समस्या के बारे में जानकारी एवं जागरूकता और आवश्यक स्वास्थ्य और स्वच्छता क्रियाएं, संगरोध, स्क्रीनिंग और परीक्षण के बारे में सामाजिक और सामुदायिक प्रतिक्रिया, रोग और संबंधित जोखिमों की सामाजिक समझ, सामाजिक विश्वास, स्वास्थ्य व्यवहार, स्वास्थ्य की देखभाल हेतु बुनियादी ढांचे, तैयारी और हस्तक्षेप, राजनीतिक तैयारी, इस तरह की महामारी के आर्थिक और आजीविका संबंधी निहितार्थ, वैश्विक मंदी, विकास और विकास में कमी, औद्योगिक पुनरुद्धार, बाहरी और आंतरिक व्यापार मोर्चों पर सुधार, रोजगार निहितार्थ, प्रवासी मजदूरों से संबंधित मुद्दे, वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव, व्यवहार और सोच में बदलाव, लोगों के अनुभव विशेष रूप से पीड़ितों, पर्यावरण संबंधी चिंताओं आदि पर अधिक प्रकाश डाल सकते हैं।
सामाजिक विज्ञान या अंतःविषयक आयामों पर शोध आधारित साक्ष्य नीति निर्माताओं की समझ को समृद्ध कर सकते हैं जिससे वे अधिक सुविचारित निर्णय ले सकें और ऐसी स्थितियों पर कुशलतापूर्वक प्रतिक्रिया दे सकें।
इसे ध्यान में रखते हुए, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने “कोविड-19 कोरोनावायरस महामारी के सामाजिक विज्ञान आयामों पर ध्यान केंद्रित करने वाले अध्ययनों के लिए विशेष आह्वान (स्पेशल कॉल)” करने का निर्णय लिया है। भा.सा.वि.अ.प. का उद्देश्य उल्लिखित व्यापक विषय पर कुछ उच्च गुणवत्ता वाले अध्ययनों को सहायता प्रदान करना है।
यह एक विशेष आह्वान है, इसलिए प्रमुख महत्व वाले क्षेत्रों और दीर्घ एवं लघु परियोजनाओं पर अनुसंधान कार्यक्रमों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित करने हेतु भा.सा.वि.अ.प. के नियमित आमंत्रण के अतिरिक्त होगा।
ये अध्ययन तीन से बारह महीने की अल्पावधि के लिए होंगे। इसे आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। विद्वान के द्वारा परियोजना निदेशक और सह-परियोजना निदेशक(ओं) को मिलाकर एक शोध टीम बनाई जा सकती है। इच्छुक विद्वान दिए गए प्रपत्र पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। प्रस्ताव की छंटाई के बाद आवश्यक दस्तावेजों और संबद्ध संस्थान/विश्वविद्यालय/महाविद्यालय आदि के अग्रेषण पत्र सहित प्रस्ताव की मुद्रित प्रति की आवश्यकता होगी। इस आमंत्रण हेतु पात्रता, निगरानी, संबद्धता और अन्य प्रासंगिक नियमों के बारे में विवरण, दिशानिर्देशों के अंतर्गत प्रदान किया गया है।