Skip to main content

सामाजिक विज्ञान में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान के लिए एक बुनियादी आवश्यकता विज्ञान और अनुसंधान करने की कला में प्रशिक्षण है। जबकि सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का दार्शनिक आधार आम तौर पर सामाजिक विज्ञानों के लिए समान है, विभिन्न विषयों ने शोध के अपने स्वयं के सैद्धांतिक ढांचे और प्रक्रियाओं / तकनीकों को विकसित किया है। तथापि, अंतःविषयक या बहु-विषयक शोध में स्‍वयं को जोड़ने वाले विद्वानों को उन विषयों की अनुसंधान रणनीतियों से परिचित होने की आवश्यकता है जिनके अलावा उन्हें प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्‍त, अनुसंधान समस्या के चरण से लेकर निष्कर्षों की अंतिम रिपोर्टिंग और प्रकाशन तक, ऐसे कई पहलू हैं जिनमें एक अच्छे शोधकर्ता को अपने कौशल को परिष्कृत करना होता है। इसलिए भा.सा.वि.अ.प. विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों में शोध पद्धति और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को वित्तपोषित और प्रायोजित करता है।

श्रेणियाँ

प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम को निम्नलिखित दो श्रेणियों में बांटा गया है:

(क) अनुसंधान पद्धति पाठ्यक्रम (आरएमसी): इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य एमफिल / पीएचडी / पीडीएफ विद्वानों के पद्धतिगत और लेखन कौशल को बढ़ाना और भविष्य के शिक्षाविदों / सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं के रूप में उनकी क्षमता का विकास करना है।

(ख) क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीबीपी): इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेवारत संकाय (अधिमानतः सामाजिक विज्ञान विषयों में व्याख्याताओं/सहायक प्रोफेसरों) को उनके विषयों में नवीनतम प्रगति, प्रौद्योगिकीय लाभ आदि के बारे में जानकारी देना और/या उनके सामान्य कार्यप्रणाली और लेखन कौशल को बढ़ावा देना है।

पात्रता

संस्थाएं/संगठन

आयोजक संस्थान, जो टीसीबी कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाता है, वह भा.सा.वि.अ.प. क्षेत्रीय केंद्र , भा.सा.वि.अ.प. अनुसंधान संस्थान, भा.सा.वि.अ.प. मान्यता प्राप्त संस्थान, शिक्षा मंत्रालय (एमओई) द्वारा परिभाषित राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, यूजीसी की धारा (2) एफ/12 (बी) के तहत मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय/मानद विश्वविद्यालय/ संस्थान होना चाहिए, जिनके पास सिद्ध अनुसंधान क्षमता, बुनियादी ढांचा और संसाधन हों।

पाठ्यक्रम निदेशक

दोनों कार्यक्रमों के लिए पाठ्यक्रम निदेशक सामाजिक विज्ञान विषयों में कार्यरत प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर होना चाहिए और उनका प्रकाशन रिकॉर्ड भी अच्छा होना चाहिए। यदि सह-पाठ्यक्रम निदेशक की आवश्यकता होती है, तो व्यक्ति को कार्यरत प्रोफेसर/एसोसिएट/सहायक प्रोफेसर भी होना चाहिए और उनका प्रकाशन रिकॉर्ड भी अच्छा होना चाहिए। तथापि, व्यक्तिगत आवेदकों के लिए एक आरएमसी/सीबीपी की तिथि से लेकर नया आवेदन प्रस्तुत करने तक दो वर्ष की कूलिंग (विराम) अवधि होगी।

सहभागी

  • आरएमसी के अंतर्गत, सहभागियों को यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/मानद विश्वविद्यालय/महाविद्यालय/राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और भा.सा.वि.अ.प. अनुसंधान संस्थानों/ मान्यता प्राप्त संस्थानों में एम.फिल/ पीएचडी/ पीडीएफ के लिए नामांकित होना चाहिए और उनका आवेदन संबद्ध संस्थान द्वारा विधिवत अग्रेषित किया जाना चाहिए।
  • सीबीपी के अंतर्गत, सहभागियों को यूजीसी से मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालय/मानद विश्वविद्यालय/महाविद्यालय/राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों और भा.सा.वि.अ.प. अनुसंधान संस्थानों/मान्यता प्राप्त संस्थानों में व्याख्याता/सहायक प्रोफेसर होना चाहिए और उनका आवेदन मूल संस्थान द्वारा विधिवत अग्रेषित किया जाना चाहिए।

अवधि और वित्‍तीय सहायता

श्रेणीअवधिमूल्‍य
अनुसंधान पद्धति पाठ्यक्रमदस (10) पूर्ण कार्य दिवस5.50 लाख रुपये तक
क्षमता निर्माण कार्यक्रमबारह (12) पूर्ण कार्य दिवस8 लाख रुपये तक

आवेदन प्रक्रिया

  • आवेदन पूरे वर्ष ऑनलाइन प्राप्त किये जाते हैं
  • आवेदन पत्र आरएमसी/सीबीपी की नियत तिथि से कम से कम तीन महीने पहले भेजे जाने चाहिए।
  • ऑनलाइन आवेदन जमा करने के बाद, उसकी मुद्रित प्रति (हार्ड कॉपी) संबद्ध संस्थान द्वारा विधिवत अग्रेषित इस पते पर भेजी जानी चाहिए: प्रभारी, टीसीबी प्रभाग, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, अरुणा आसफ अली मार्ग, नई दिल्ली 110067

महत्वपूर्ण बिंदु

किस्त का विवरण

दोनों योजनाओं में अनुदान दो किस्तों में जारी किया जाएगा। कार्यक्रम की वास्तविक और विस्तृत समय-सारणी प्राप्त होने के एक महीने के भीतर 75 प्रतिशत की पहली किस्त जारी की जाएगी। 25 प्रतिशत की दूसरी और अंतिम किस्त जीएफआर 12ए फॉर्म में अंतिम रिपोर्ट, लेखा-परीक्षित विवरण और उपयोगिता प्रमाण पत्र प्राप्त होने पर जारी की जाएगी। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के मामले में, वित्त अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित ए.सी./यू.सी. स्वीकार्य है। अन्य सभी संस्थानों/विश्वविद्यालयों के लिए, ए.सी./यू.सी. को चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित किया जाना चाहिए।

निगरानी

  • भा.सा.वि.अ.प. कार्यक्रम की गुणवत्ता की निगरानी के लिए एक अधिकारी/पर्यवेक्षक की नियुक्ति कर सकता है।
  • कार्यशाला के अंतिम दिन, पाठ्यक्रम निदेशक/सह-निदेशक को अधिमानतः भा.सा.वि.अ.प. पर्यवेक्षक की उपस्थिति में, एक परीक्षा आयोजित करनी होगी जिससे संसाधन व्यक्तियों द्वारा दिए गए व्याख्यानों के आधार पर सभी प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया जा सके।
  • भा.सा.वि.अ.प. संचालित पाठ्यक्रम की गुणवत्ता के बारे में सीधे संसाधन व्यक्तियों और सहभागियों से फीडबैक ले सकता है।

स्वीकृति के उपरांत अनुरोध

  • • पाठ्यक्रम के लिए आमंत्रित संसाधन व्यक्ति विभिन्‍न भौगोलिक और सामाजिक विज्ञान पृष्ठभूमि से होने चाहिए, अधिमानतः प्रोफेसर/एसोसिएट प्रोफेसर जिन्हें संसाधन पद्धति और प्रकाशनों में पर्याप्त विशेषज्ञता प्राप्त हो। आरएमसी/सीबीपी दोनों के लिए संसाधन व्यक्तियों का चयन करते समय, पाठ्यक्रम निदेशक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य के बाहर, राज्य से और स्थानीय क्षेत्र से संसाधन व्यक्तियों को कुल व्याख्यानों का 1/3 (33%) अलग-अलग साझा करना चाहिए।
  • संसाधन व्यक्तियों की यात्रा एवं रहने की व्‍यवस्‍था हेतु आतिथेय (हॉस्‍ट) संस्थान के नियम लागू होंगे।
  • पाठ्यक्रम में भाग लेने के लिए सहभागियों से कोई पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा।
  • संस्थान एक स्वीकृत उप-शीर्ष से दूसरे उप-शीर्ष में व्यय को अधिकतम दस प्रतिशत तक पुनर्विनियोजित कर सकता है। किसी भी मद के लिए स्वीकृत राशि के दस प्रतिशत से अधिक पुनर्विनियोजन के लिए भा.सा.वि.अ.प. की पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता होगी।