डॉक्टरेट थीसिस/शोध रिपोर्ट/सेमिनार/सम्मेलन आदि में प्रस्तुत शोध पत्रों के प्रकाशन के लिए प्रकाशन अनुदान/सहायता प्रदान करने हेतु दिशानिर्देश।
1. सामान्य
1.1 भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (भा.सा.वि.अ.प.) सामाजिक विज्ञान के किसी भी क्षेत्र में किए गए शोध कार्य की पांडुलिपियों के प्रकाशन हेतु भारतीय नागरिकों को कार्य की गुणवत्ता की शर्त के अधीन प्रकाशन अनुदान/ वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
1.2 डॉक्टरेट थीसिस: पिछले तीन वर्षों के दौरान पीएचडी से सम्मानित विद्वान इस योजना के अंतर्गत आवेदन कर सकते हैं।
1.3 सेमिनारों/सम्मेलनों/कार्यशालाओं में प्रस्तुत शोध परियोजनाओं/फेलोशिप और शोध पत्रों की रिपोर्ट: भा.सा.वि.अ.प. ऐसी पांडुलिपि के प्रकाशन हेतु अनुदान प्रदान कर सकता है, चाहे उस शोध कार्य हेतु भा.सा.वि.अ.प. द्वारा वित्तपोषित किया गया हो या अन्यथा, बशर्तें कार्य उच्च गुणवत्ता की हो और उसे अनुदान की आवश्यकता हो।
2. अनुदान के लिए पात्रता
2.1 रिपोर्ट/पीएच. थीसिस (इसके पश्चात्, पांडुलिपि) उच्च गुणवत्ता की हो और यदि कार्य के प्रकाशन हेतु सहायता-अनुदान की आवश्यकता हो।
2.2 पीएच.डी. थीसिस/पांडुलिपियां, पीएच.डी. थीसिस प्रदान किए जाने की तिथि या शोध अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट स्वीकृत किए जाने की तिथि से तीन वर्ष से अधिक पुरानी नहीं होनी चाहिए।
2.3 सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में पीएच.डी. थीसिस भारत या विदेश में स्थित किसी विश्वविद्यालय से अनुमोदित होना चाहिए।
2.4 थीसिस प्रकाशन अनुदान हेतु आवेदक ने किसी प्रतिष्ठित शोध पत्रिका में कम से कम एक शोध पत्र प्रकाशित किया हो।
3. आवेदन कैसे करें
3.1 वित्तीय अनुदान के लिए सभी आवेदन, डॉक्टरेट थीसिस/शोध रिपोर्ट/सेमिनारों आदि में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों के प्रकाशन हेतु प्रकाशन अनुदान/ सहायता के लिए निर्धारित आवेदन पत्र में, इन दिशानिर्देशों के साथ संलग्न किए जाने चाहिए, साथ ही निम्नलिखित सभी अनुलग्नक और संलग्नक भी होने चाहिए:
- अनुलग्नक-I पांडुलिपि का सारांश।
- अनुलग्नक-II आवेदक का संक्षिप्त बायोडाटा (सीवी)।
- अनुलग्नक-III पांडुलिपि की एक प्रति (सजिल्द)।
- अनुलग्नक-IV यदि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग से हैं तो विधिवत् सत्यापित जाति प्रमाण पत्र।
संलग्नक:
(i) किसी प्रतिष्ठित शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र की मूल पुनर्मुद्रण (रिप्रिंट) या फोटोकॉपी।
3.2 आवेदन पत्र, पांडुलिपि की मुद्रित प्रति (हार्ड कॉपी) और आवश्यक दस्तावेजों सहित प्रकाशन एवं अनुसंधान सर्वेक्षण प्रभाग (पीआरएस), भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, अरुणा आसफ अली मार्ग, ज.ने.वि. संस्थागत क्षेत्र, नई दिल्ली -110067 को भेजा जाना चाहिए।
3.3 प्रकाशन अनुदान हेतु आवेदन पूरे वर्ष किए जा सकते हैं।
3.4 अपूर्ण आवेदनों पर प्रकाशन अनुदान हेतु विचार नहीं किया जाएगा।
4. पुरस्कार की प्रक्रिया
4.1. प्रत्येक पांडुलिपि का मूल्यांकन संबंधित विषय के विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा। विशेषज्ञ से पांडुलिपि की शैक्षणिक व्यवहार्यता, उद्देश्यों और प्रकाशन हेतु इसकी उपयुक्तता आदि की जांच करने की अपेक्षा की जाती है।
4.2. ऐसे मामलों में जहां पांडुलिपि का पहले से ही उत्कृष्ट प्रकाशकों द्वारा नामित प्रतिष्ठित विशेषज्ञ (विशेषज्ञों) द्वारा मूल्यांकन/ समीक्षा की जा चुकी है, ऐसी रिपोर्टों पर खंड 4.1 में उल्लिखित विशेषज्ञ द्वारा किसी अतिरिक्त मूल्यांकन के बिना भा.सा.वि.अ.प. द्वारा विचार किया जा सकता है।
क. विशेषज्ञ की सिफारिश को अनुमोदन हेतु परिषद को सूचित किया जाता है।
5. अनुदान की शर्तें
5.1 पांडुलिपि अनुदान प्रदान किए जाने की तिथि से एक वर्ष के भीतर प्रकाशित की जानी चाहिए।
5.2 सहायता अनुदान के लिए प्रस्ताव एक वर्ष के बाद स्वतः ही समाप्त हो जाएगा, जब तक कि भा.सा.वि.अ.प. विशेष रूप से लेखक/प्रकाशक द्वारा किए गए अनुरोध को आगे न बढ़ा दे।
5.3 इस योजना के अधीन वर्तमान में वित्तीय सहायता अधिकतम 50,000 /- रुपये तक है। अनुदान की समुचित राशि प्रत्येक प्रस्ताव में प्रस्तुत विवरण के अनुसार तय की जाएगी।
5.4 इस योजना के तहत सहायता अनुदान के लिए अनुमोदित पांडुलिपि भा.सा.वि.अ.प. द्वारा विधिवत अनुमोदित प्रकाशक के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी। भा.सा.वि.अ.प. अनुमोदित प्रकाशकों की एक सूची बनाए रखेगा और यह अनुदान प्राप्तकर्ता के लिए अनुमोदित सूची में से किसी भी प्रकाशक के साथ करार करने के लिए खुला रहेगा। अनुदान का भुगतान सीधे प्रकाशक को किया जाता है।
5.5 प्रकाशक को कम से कम 500 प्रतियां मुद्रित करना आवश्यक है।
5.6 अनुदान प्राप्तकर्ता को प्रकाशक के साथ हुए करार की एक प्रति भा.सा.वि.अ.प. को अभिलेख के लिए प्रस्तुत करनी होगी।
5.7 प्रकाशक मानक प्रोटोकॉल के अनुसार राजस्व (रॉयल्टी) का भुगतान करेगा और सामान्यतः यह भुगतान लेखक को वास्तविक बिक्री पर मुद्रित मूल्य के 10% से कम नहीं होगा।
5.8 पुस्तक का मूल्य प्रकाशक द्वारा किए गए शुद्ध निवेश (उत्पादन की वास्तविक लागत में से भा.सा.वि.अ.प. द्वारा स्वीकृत सब्सिडी की राशि घटाकर) के पांच गुना से अधिक नहीं होगा।
5.9 अनुदान प्राप्तकर्ता को शीर्षक में किसी भी परिवर्तन या पांडुलिपि में मूलभूत परिवर्तन के लिए भा.सा.वि.अ.प. की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।
5.10 प्रकाशक को प्रकाशन की कम से कम 35 प्रतियां भा.सा.वि.अ.प. को निःशुल्क प्रस्तुत करनी होंगी, साथ ही उपयोगिता प्रमाण-पत्र, सहायता अनुदान बिल और लेखक का प्राधिकार पत्र भी प्रस्तुत करना होगा, जिसमें प्रकाशक को भा.सा.वि.अ.प. से सीधे अनुदान प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया गया हो।
5.11 इस योजना के अधीन समर्थित प्रकाशनों में प्रमुख स्थान पर निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:
- इस प्रकाशन को भा.सा.वि.अ.प. द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
- प्रस्तुत तथ्यों, व्यक्त किए गए विचारों या निष्कर्षों की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से लेखक की है और भा.सा.वि.अ.प. इनके लिए कोई जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करता है।
- भा.सा.वि.अ.प. की तरफ से शोध कार्य का मूल्यांकन करने वाले परामर्शदाता का नाम।
5.12 प्रकाशक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अंतिम उत्पाद, उत्पादन की दृष्टि से उच्च गुणवत्ता का हो।
5.13 भा.सा.वि.अ.प. समझौते की शर्तों को लागू नहीं करने पर भा.सा.वि.अ.प. द्वारा अनुमोदित प्रकाशकों की सूची से प्रकाशक का नाम हटाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
5.14 यदि आवश्यक हो तो भा.सा.वि.अ.प. प्रकाशनों की प्रतियां खरीद सकता है और प्रकाशक इस तरह की खरीद पर छूट (25% से कम नहीं) देगा।