विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों सहित सामाजिक वैज्ञानिकों के व्यावसायिक संघों/ संगठनों के लिए उनके शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन/ संचालन हेतु सहायता अनुदान योजना।
1. सामान्य
- भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (भा.सा.वि.अ.प.) विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों सहित सामाजिक वैज्ञानिकों के व्यावसायिक संघों/संगठनों को उनके शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन/ संचालन हेतु सहायता अनुदान प्रदान करती है।
- अनुदान का उद्देश्य विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और शोध संस्थानों सहित सामाजिक वैज्ञानिकों के व्यावसायिक संगठनों की पत्रिकाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और उनके प्रकाशन की नियमितता सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करना है।
- अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति श्रेणी के अंतर्गत आवेदन करने वाले संघ/ संगठन को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि प्रकाशन अनुदान के लिए केवल अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति से संबंधित मुद्दों पर शोध हेतु समर्पित पत्रिकाओं पर ही विचार किया जाएगा।
2. अनुदान के लिए पात्रता
- कोई संघ/ संगठन कोई पत्रिका प्रकाशित कर रहा है तो इस योजना के अंतर्गत समर्थन के लिए विचार की जाने वाली पत्रिकाओं में मुख्य रूप से शोध-आधारित प्रकाशन होने चाहिए जो सहकर्मी समीक्षित, उद्धरण, संदर्भ आदि की व्यावसायिक प्रथाओं का पालन करते हुए प्रकाशित हो।
- पत्रिका का प्रकाशक कोई विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय विभाग, महाविद्यालय, शोध संस्थान या सामाजिक वैज्ञानिकों का व्यावसायिक संघ/ संगठन हो सकता है।
- सामाजिक वैज्ञानिकों के व्यावसायिक संघ/ संगठन का मामला
- संघ/ संगठन को अधिमानतः राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना चाहिए।
- यदि यह निजी रूप से वित्त पोषित संस्थान या सामाजिक वैज्ञानिकों का संघ है, तो इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
- संघ/ संगठन तथा इसकी पत्रिका सामाजिक विज्ञान के किसी एकल विषय से हो सकती है अथवा अंतःविषयक प्रकृति की हो सकती है।
- संगठन/ संघ कम से कम पांच वर्ष से कार्यरत होना चाहिए।
- संघ/ संगठन को अपनी वार्षिक रिपोर्ट और पिछले तीन वर्षों की वार्षिक लेखा-परीक्षित लेखा प्रस्तुत करनी होगी।
- सहायता के लिए विचार की गई पत्रिका तीन वर्ष से कम पुरानी नहीं होनी चाहिए तथा नियमित अंतराल पर प्रकाशित होनी चाहिए।
- भा.सा.वि.अ.प. क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाली पत्रिकाओं और उनके अनुवाद हेतु सहायता अनुदान प्रदान करने पर विचार कर सकता है।
3.अनुदान की शर्तें
- तदर्थ सहायता अनुदान की राशि सामान्य रूप से रूपये 5,00,000/- प्रतिवर्ष से अधिक नहीं होगी।
- यदि कोई संगठन/ संघ एक से अधिक पत्रिकाओं को चला रहा है/ प्रकाशित कर रहा है, तो इस तरह के सहायता अनुदान की सीमा 8,00,000/- रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- यदि कोई पत्रिका किसी वाणिज्यिक प्रकाशक के माध्यम से प्रकाशित की जाती है तो संस्था/ संगठन /संघ को केवल संपादकीय/प्रक्रिया की लागत (कुल राजस्व/ रॉयल्टी) के लिए वित्तीय सहायता हेतु पात्र माना जाएगा, जो प्रति पत्रिका 1,00,000/- रुपये से अधिक नहीं होगी तथा यदि संस्था/ संगठन /संघ एक से अधिक पत्रिकाओं को प्रकाशित करता है तो अधिकतम सीमा 2,00,000/- रुपये होगी।
- यदि कोई प्रतिष्ठित संगठन/ संघ पत्रिकाओं के पूर्व अंकों को शामिल करते हुए कोई 'विशेष अंक' प्रकाशित करना चाहता है, तो उसके लिए अलग से सहायता अनुदान पर विचार किया जा सकता है।
- कुल सहायता अनुदान का दस प्रतिशत (10%), स्वीकृत अनुदान की संपूर्ण राशि के संबंध में लेखापरीक्षित लेखा विवरण और उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त होने के बाद वर्ष के अंत में अंतिम किस्त के रूप में भुगतान किया जाएगा।
4.अनुदान का उपयोग
पत्रिका के संचालन के लिए प्रदत्त अनुदान का उपयोग केवल पत्रिका के प्रकाशन के उद्देश्य से किया जाना चाहिए, न कि संघ/ संगठन द्वारा किसी अन्य कारण/ उद्देश्य के लिए।